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पहले भी गबन में फंस चुके हैं फील्ड अफसर

अमरोहा : स्टेट बैंक की मुख्य शाखा में ऋण के नाम पर फर्जी तरीके से करोड़ों रुपये बांटने के आरोपित फील्ड अफसर पहले भी गबन में फंस चुके हैं। उस प्रकरण की जांच के बाद उन्हें दोषी पाए जाने पर बैंक प्रबंधन ने उन्हें बर्खास्त कर दिया था। अब अमरोहा में घोटाला सामने आने पर उनके जेल जाने की चर्चाएं तेज हो गई हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 06 Jan 2019 11:00 PM (IST)Updated: Sun, 06 Jan 2019 11:00 PM (IST)
पहले भी गबन में फंस चुके हैं फील्ड अफसर
पहले भी गबन में फंस चुके हैं फील्ड अफसर

अमरोहा : स्टेट बैंक की मुख्य शाखा में फर्जी तरीके से करोड़ों रुपये बांटने के आरोपित फील्ड अफसर पहले भी गबन में फंस चुके हैं। उस प्रकरण की जांच में दोषी पाए जाने पर बैंक प्रबंधन ने उन्हें बर्खास्त कर दिया था। अब अमरोहा में घोटाला सामने आने पर उनके जेल जाने की चर्चाएं तेज हो गई हैं।

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मूलत: बिजनौर जनपद निवासी एसबीआइ अमरोहा की मुख्य शाखा में बतौर फील्ड अफसर तैनात रहे सत्येंद्र कुमार ने मुरादाबाद की कुंदरकी ब्रांच में तैनाती के दौरान भी गबन किया था। इस मामले की जांच में वहां के बैंक प्रबंधक जेल गए थे वहीं सत्येंद्र कुमार को बैंक प्रबंधन ने बर्खास्त कर दिया था। हालांकि बर्खास्तगी से पूर्व बैंक प्रबंधन को अमरोहा में उनकी तैनाती करना महंगा पड़ गया। घोटाले के आरोपित होने के बावजूद कार्यभार मिलने का फायदा उठाकर सत्येंद्र कुमार ने यहां भी घोटाले को अंजाम दे दिया।

उल्लेखनीय है कि अमरोहा की स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की मुख्य शाखा में वर्ष 2015 से 2017 तक किसानों को ऋण बांटने में जमकर खेल किया गया। फील्ड अफसर सत्येंद्र कुमार ने शाखा प्रबंधक कमला प्रसाद के साथ मिलकर किसानों को लगभग 18 करोड़ रुपये का ऋण वितरित किया। बिचौलियों की मिलीभगत से अपात्रों को लाखों रुपये का ऋण वितरित कर दिया। इस ऋण का लगभग पचास फीसद हिस्सा ही किसानों को दिया गया जबकि शेष धनराशि अफसरों व दलालों ने बांट ली थी।

कुंदरकी में गबन के मामले में सत्येंद्र कुमार की बर्खास्तगी व कमला प्रसाद के स्थानांतरण के बाद जब किसानों से ऋण की वसूली शुरू की गई तो उन्होंने बताया कि न तो उनके पास एकड़ों जमीन है और न ही उन्हें बैंक से ऋण के नाम पर बड़ी रकम मिली है। असलियत सामने आने पर बैंक मुख्यालय ने पूरे प्रकरण की विजिलेंस जांच के आदेश दिए हैं। माना जा रहा है कि विजिलेंस जांच के बाद तत्कालीन बैंक अफसरों के साथ ही कुछ बैंक कर्मियों के खिलाफ एफआइआर दर्ज होना तय है। इससे तत्कालीन बैंक कर्मियों की नींद हराम है।


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