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Sanskarshala 2022 : प्यार और समझदारी से करें समस्याओं का समाधान, जोर-जबरदस्ती से नहीं

Amroha Sanskarshala 2022 अमरोहा में रहरा के शिक्षा भारती इंटर कालेज के प्रधानाचार्य सत्येंद्र कुमार त्यागी ने बताया कि किसी भी संकट के समय में घबराने से काम नहीं चलता। प्यार और समझदारी से हम बड़ी से बड़ी समस्या का हल आसानी से निकाल सकते हैं।

By Jagran NewsEdited By: Samanvay PandeyPublished: Thu, 06 Oct 2022 05:21 PM (IST)Updated: Thu, 06 Oct 2022 05:21 PM (IST)
Sanskarshala 2022 : प्यार और समझदारी से करें समस्याओं का समाधान, जोर-जबरदस्ती से नहीं
Amroha Sanskarshala 2022 : अमरोहा में रहरा के शिक्षा भारती इंटर कालेज के प्रधानाचार्य सत्येंद्र कुमार त्यागी।

Amroha Sanskarshala 2022 : अमरोहा में रहरा के शिक्षा भारती इंटर कालेज के प्रधानाचार्य सत्येंद्र कुमार त्यागी ने बताया कि किसी भी संकट के समय में घबराने से काम नहीं चलता। प्यार और समझदारी से हम बड़ी से बड़ी समस्या का हल आसानी से निकाल सकते हैं। इंसान के जीवन में अनेकों समस्याएं आती हैं।

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मुश्किल वक्त में भी धैर्य को न खोएं

समस्या आने पर हमें विचलित नहीं होना चाहिए बल्कि, धैर्य का परिचय देते हुए प्यार और समझदारी दिखाते हुए समस्या से निपटना चाहिए। आज के युग में जीवन संघर्ष और समस्याओं से भरा हुआ है। कदम कदम पर चुनौतियां और समस्याएं आती रहती हैं।

एक कहानी से समझें

एक दिन सौरभ के माता पिता कहीं बाहर गए हुए थे। सौरभ स्कूल से आए और कपड़े बदले बिना यूनिफार्म में ही टेबलेट लेकर बैठ गए। उस दिन घर की जिम्मेदारी उनके दादा रामकिशोर पर थी। उन्होंने पोते को स्कूल की यूनिफार्म में टेबलेट चलाते देखकर दादा ने टोका कि स्कूल से आकर तुमने न तो कपड़े बदले और न ही खाना खाया।

सौरभ ने दादा से तेज आवाज में बात की

सौरभ ने उन्हें दादाजी कहकर टाल दिया। रामकिशोर परेशान हो गए। उन्हें लगा कि बेटे रामप्रसाद और पुत्रवधू रचना के घर न होने पर सौरभ मनमानी कर रहा है। दादा ने सख्त लहजे में कहा कि सौरभ मैं यहीं हूं। इतना सुनकर सौरभ तेज आवाज में बोला कि स्कूल का टेस्ट चल रहा है इसलिए, बैठा हूं। आप जानते तो कुछ नहीं, बस डांटने का बहाना खोजते रहते हैं।

फिर अपने कमरे में चला गया

यह बात कहकर सौरभ अपने कमरे में चला गया। दादा अवाक रह गए। आज तक उनके बेटे -बहू ने कभी तेज आवाज में बात नहीं की थी। शाम को रामप्रसाद और रचना घर आ गए। कामवाली महिला ने उन्हें सब कुछ बता दिया था। दादा से तेज आवाज में बोलने की बात सुनकर रचना गुस्से से बेटे पर तमतमा उठी, लेकिन पति ने उसे रोक दिया। बोले गुस्से से बात और बिगड़ जाती है।

दादा बालकनी में गुमसुम

रामप्रसाद ने पिता को देखा वे बालकनी में गुमसुम बैठे थे। जबकि सौरभ अपने कमरे में टेबलेट के साथ व्यस्त था। पिता बेटे के पास पहुंचे और उसे समझाने लगे। आज तुमने टेबलेट की वजह से दादा से बदतमीजी की। देर तक बात करने के बाद रामप्रसाद अपने पिता के पास पहुंचे और कहा कि दिन की घटना के बारे में पता चला कि सौरभ ने आप से बहुत गलत किया। रचना गुस्से में आकर उसे मारने को चल रही थी मैंने उसे रोक दिया कि गुस्से में बात और बिगड़ती है आपने ही तो मुझे यह बात सिखाई थी कि गुस्से में बात और बिगड़ती है।

रामप्रसाद कुछ रुककर बोले सौरभ का आनलाइन टेस्ट था, स्कूल की थकान व टेस्ट के तनाव के कारण उसने आपसे गलत ढंग से बात की। अपने किए का उसे बहुत पछतावा है। रामप्रसाद ने सौरभ को आवाज दी और कहा कि तुम्हें दादाजी से माफी मांगनी चाहिए। इतना सुनते ही सौरभ फफक कर रो पड़ा और बोला सारी दादा जी।

दादा ने पोते को दुलारा

रामकिशोर भावुक हो उठे और पोते के सिर पर हाथ फेरते उसे दुलारने लगे। इसे कहते हैं प्यार और समझदारी से समस्या का हल निकालना। रामप्रसाद ने अपनी पत्नी के हाथों बेटे को भी नहीं पिटने दिया तथा पिता की दी हुई सीख से बेटे से माफी मंगवाकर दादा को भी संतुष्ट करा दिया। 


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