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Sanskarshala 2022 : ‘अभिभावक पहले गुस्से को मारे, फिर बच्चों को समझाएं’, संस्कार सीखने को पढ़ें संस्कारशाला

Amroha Sanskarshala 2022 अमरोहा में गजरौला के मदर टच स्कूल की प्रधानाचार्य मंजू सिंह का कहना है कि वर्तमान दौर में इंटरनेट मीडिया छोटे से लेकर बड़ों तक पर हावी होती जा रही है। मोबाइल से ही अब दिनचर्या शुरू होती है।

By Jagran NewsEdited By: Samanvay PandeyPublished: Fri, 07 Oct 2022 04:13 PM (IST)Updated: Fri, 07 Oct 2022 04:13 PM (IST)
Sanskarshala 2022 : ‘अभिभावक पहले गुस्से को मारे, फिर बच्चों को समझाएं’, संस्कार सीखने को पढ़ें संस्कारशाला
Amroha Sanskarshala 2022 : अमरोहा में गजरौला के मदर टच स्कूल की प्रधानाचार्य मंजू सिंह।

Amroha Sanskarshala 2022 : अमरोहा में गजरौला के मदर टच स्कूल की प्रधानाचार्य मंजू सिंह का कहना है कि वर्तमान दौर में इंटरनेट मीडिया छोटे से लेकर बड़ों तक पर हावी होती जा रही है। मोबाइल से ही अब दिनचर्या शुरू होती है और मोबाइल के साथ ही शाम को खत्म हो जाती है।

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बच्चों के सामने न करें मोबाइल का उपयोग

बच्चों के सामने अभिभावकों का लगातार मोबाइल का उपयोग करना नुकसानदायक है। यही वजह भी है कि बच्चे उनकी देखा देख मोबाइलों के पीछे पड़ते जा रहे हैं। इसलिए पहले अभिभावकों को अपनी आदत में सुधार लाने की आवश्यकता है फिर वह बच्चों को सुधार सकते हैं।

गुस्सा करने के बजाय दुष्प्रभाव बताएं

जब बच्चा मोबाइल, टेबलेट या फिर लैपटाप चला रहा हो तो उस पर क्रोधित होने की जरूरत कतई नहीं है। पहले अभिभावक अपने अंदर के क्रोध को मारेंं और फिर प्यार से बच्चे को समझाते हुए उसे मोबाइल पर इंटरनेट यूज करने से होने वाले दुष्प्रभावों के बारे में अवगत कराएं।

प्यार से बच्चे समझेंगे और अमल में भी लाएंगे

अगर प्यार से बच्चों को समझाएंगे तो निश्चित ही बच्चे बात पर अमल भी करेंगे। एक बात यह भी है कि आज के दौर में अभिभावकों ने बच्चों के जीवन में क्या-क्या चल रहा है। इसके बारे में जानकारी करना भी छोड़ दिया है। जबकि यह पूरी तरह से गलत है। अभिभावकों की इस लापरवाही से बच्चे खुद को निर्णायक मानते हुए हर फैसले स्वयं करने लगते हैं।

अधिक लाड-प्यार बच्चों को लापरवाह बनाता है

वह कुछ भी करने से पहले एक बार यह भी नहीं सोचते हैं कि इस बारे में अपने माता पिता से कुछ राय ली जाए। इसके जिम्मेदार कहीं ना कहीं अभिभावक भी हैं। क्योंकि वह भी कुछ करने से पहले उन्हें जरा भी टोकने की इच्छा नहीं जताते हैं। अधिक लाड प्यार बच्चे को लापरवाही की और भेजता है। जबकि वास्तव में अभिभावकों को बच्चों से मिलकर उनके जीवन के बारे में जानना चाहिए। आजकल के दौर में ना तो लोगों के पास इतना टाइम होता और ना ही उनका मन।

बच्चों को बिगाड़ने की सामाग्री भी इंटरनेट मीडिया पर

डिजिटल दुनिया में लोग घरों में रहकर भी अपने घर में न होने का अहसास दिलाते हैं। इंटरनेट मीडिया पर बहुत बार बच्चों को बिगाड़ने की चीजें भी सामने आती हैं। जिनको देखकर बच्चे आत्मघाती कदम भी उठा लेते हैं। इसलिए अभी वह आपको समय-समय पर बच्चों की निगरानी करते हुए उन्हें ऐसी चीजों पर ध्यान नहीं देने के प्रति जागरूक करना चाहिए।

बच्चा अगर कोई गलती कर भी देता है तो उसे समझदारी के साथ प्यार से समझाएं। क्रोध करने से कोई लाभ नहीं होगा। क्योंकि जो गलती होनी थी वह हो चुकी है। दैनिक जागरण में छपी अमर की कहानी का भी यही उद्देश्य है।

नादानी में उसने अपने दादा के साथ जो व्यवहार किया उसके बारे में अभी वह आपको ने जब उसे प्यार से समझाते हुए गलत और सही के बारे में बताया तो उसे अपनी गलती का एहसास हुआ और फिर उसने अपने दादा के सामने जाकर अपनी गलती का पश्चाताप करते हुए सॉरी भी मांगी। इसलिए उसी तरह ध्यान रखना होगा। जिस तरह अमर के पिता रमेश ने समझदारी से समाधान ढूंढ लिया। उसी तरह प्यार और समझदारी से किसी भी समस्या का समाधान निकाल सकते हैं।


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