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गंगा के पानी में घिरे खादर के 13 गांव

जले के 13 गांवों में रहने वाले लगभग 26 हजार लोगों की जिदगी एक डोर के भरोसे आ गई है। थोड़ी बारिश और हुई तो यह डोर टूट भी सकती है। प्रतिदिन कमाकर खाने वालों के सामने निवाले के लाले पड़ गये हैं। सुबह कमाने निकले लोग अगर शाम तक नहीं लौटे तो गांव पहुंचने के लिए रात सड़क पर गुजारनी पड़ती है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 13 Aug 2019 11:31 PM (IST)Updated: Fri, 16 Aug 2019 06:28 AM (IST)
गंगा के पानी में घिरे खादर के 13 गांव
गंगा के पानी में घिरे खादर के 13 गांव

अमरोहा : मंडी धनौरा तहसील क्षेत्र में खादर के 13 गांव गंगा के पानी से घिर गए हैं। इनकी 26 हजार से अधिक की आबादी का संपर्क शहर से टूट गया है। एक ओर गंगा नदी तो दूसरी तरफ नहर है। नहर में कैप्सूल पुल के जरिये इन गांवों को शहर से जोड़ा गया था लेकिन बारिश में गंगा का जलस्तर बढ़ने पर इसे हटा लिया गया। इससे इन गांव के लोगों का आवागमन रुक गया। जिंदगी ठहर सी गई है। अधिकांश लोग गजरौला और आसपास की फैक्ट्रियों में काम करके अपनी जीविका चलाते हैं। पानी भरने के बाद उनके पास गांव से निकलने का कोई रास्ता नहीं बचा है। ऐसे में गांव के लोगों ने चार नावों का इंतजाम किया है। बंधे की सड़क से गांव की ओर एक रस्सी बांधी गई। इस रस्सी के सहारे सुबह नाव खींचकर ग्रामीणों को गांव के बाहर ले जाया जाता है। शाम को सात बजे बाद गांव नहीं लौट पाते हैं घर

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शाम सात बजे तक लौटने वाले मजदूरों को अंधेरे में ही नाव से गांव पहुंचाया जाता है। जो ग्रामीण समय से नहीं पहुंच पाते हैं उनके पास सड़क पर ही रात बिताने के अलावा कोई विकल्प नहीं होता। मंगलवार को मंडी धनौरा तहसील के शीशोवाली, जाटोवाली ढाकोवाली, दारानगर समेत इन 13 गांवों के निरीक्षण के लिए एएसपी अजय प्रताप सिंह और एसडीएम धनौरा विवेक यादव संग निकले डीएम उमेश मिश्र भी काफी प्रयास के बाद भी गांव नहीं पहुंच सके। सड़क पर गाड़ी छोड़कर डीएम काफी दूर पैदल चले। फिर ट्रैक्टर की स्टेयरिग खुद ही संभालकर किसी तरह नहर के किनारे तक पहुंचे लेकिन तभी शुरू हुई तेज बारिश ने उनके प्रयासों पर पानी फेर दिया। नाव वालों ने भी उन्हें गांव पहुंचाने से हाथ खड़े कर दिए।

ग्रामीणों का छलका दर्द

जाटोवाली में रहने वाले ग्रामीण नानक बताते हैं कि नवंबर तक हम लोग इन्हीं झंझावतों में जूझेंगे, कहीं कोई सुनवाई नहीं होती। नाविक नेपाल बताते हैं कि लोगों को नहर पार कराने के बदले वह प्रति ग्रामीण के हिसाब से 20 किलो गेहूं लेते हैं। यह बाढ़ की समस्या रहने तक का चार्ज है। यदि रात में कोई बीमार हो जाता है तो उसे गांव से बाहर ले जाना संभव नहीं होता। नानकचंद बताते हैं कि एसडीएम ने गांव छोड़कर सुरक्षित ठिकानों पर जाने के लिए कहा है लेकिन, इससे पूरे गांव को कई समस्याओं से जूझना होगा।

जल्द स्थाई पुल का निर्माण कराया जाएगा

बाढ़ के पानी से घिरे 13 गांवों की समस्या गंभीर है। प्राथमिक स्तर पर ग्रामीणों को दवा, राशन इत्यादि मुहैया कराने के निर्देश दिए गए हैं। यहां पर स्थायी पुल बनाने के लिए वन विभाग से एनओसी नहीं मिल पा रही है। शासन को इस संबंध में प्रस्ताव भी भेज दिया गया है। जल्द ही यहां स्थायी पुल का निर्माण शुरू हो जाएगा।

उमेश मिश्र, जिलाधिकारी


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