'ईष्र्या करने वालों को सत्कर्म का भी नहीं मिलता लाभ'
गौरीगंज (अमेठी) कलेक्ट्रेट के करीब विधायक निवास मंगलम में चल रही श्रीराम कथा के दूसरे
गौरीगंज, (अमेठी) : कलेक्ट्रेट के करीब विधायक निवास मंगलम में चल रही श्रीराम कथा के दूसरे दिन शनिवार को कथा व्यास राजन जी महाराज ने भगवान शिव सती का प्रसंग सुनाया। शिव पार्वती के विवाह का प्रसंग का विस्तार से वर्णन करते हुए बताया कि एक दिन सती जी को भगवान शिव अपने आराध्य श्री राम जी की कथा सुना रहे थे, तभी आकाश मार्ग से विमानों को जाते देख सती जी के पूछने पर शिव जी ने सम्पूर्ण व्रतांत बतलाया। यह सुनकर सती जी अपने पिता के घर जाने के लिए उद्विग्न होती है और शंकर जी के मना करने पर भी सती जी जब पिता की यज्ञ में पहुंच जाती हैं और मानस में लिखा है कतहुँ न दीख संभु कर भागा।
यह देख कर सती जी को क्रोध आ जाता है और अपने पिता की यज्ञ में आत्म दाह कर लेती है। वीरभद्र के द्वारा दक्ष को दंड दिया जाता है। देवताओं के मानने पर बकरे का सिर दक्ष के भगवान शिव लगा देते हैं। उसके पश्चात शिव जी समाधि में चले जाते हैं। कथा व्यास ने कहा कि कभी किसी से ईष्र्या नहीं करनी चाहिए। क्योंकि ईष्र्या करने से सत्कर्म का भी लाभ नहीं मिलता। प्रजापति दक्ष अपने दामाद शिवजी से ईष्र्या रखते थे। वहीं महर्षि दधीचि ने शिव को अनुपस्थित देखकर दक्ष को समझाते हुए कहा कि राग-द्वेष की कुत्सित भावना से किया गया कोई भी सत्कर्म विनाश का कारण बनता है। कथा समापन के बाद विधायक राकेश प्रताप सिंह ने सभी श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरित करवाया। श्री राम कथा सुनने के लिए लोगों की भीड़ जुट रही है।