संसाधन के अभाव में चिकित्सा व्यवस्था बदहाल
सबको स्वस्थ रखने का दावा महज दिखावा। यहां न कर्मचारी हैं और न ही डाक्टर मिलते हैं।
अमेठी : प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का दर्जा मिले एक दशक बीतने को है। फिर भी यहां स्टाफ का अभाव बरकरार है। ऐसे में सबको स्वस्थ रखने का दावा महज दिखावा बनकर रह गया है।
सीएचसी पर एक महिला चिकित्सक सहित सात चिकित्सकों की तैनाती का नियम है। लेकिन, मात्र दो चिकित्सक ही लोगों को चिकित्सा मुहैया करा रहे हैं। 30 शैया वाले इस अस्पताल में एकमात्र स्वीपर की तैनाती है, जबकि तीन पद सृजित हैं। इसी प्रकार तीन वार्ड ब्वाय की जगह मात्र एक कार्यरत है। यहां एक हड्डी, एक बाल रोग व एक आई सर्जन की नियुक्ति होनी चाहिए। एक सर्जन व फिजिशियन के साथ ही एक स्त्री रोग चिकित्सक की नियुक्ति का अस्पताल को इंतजार है। दो सामान्य चिकित्सक हर मर्ज की दवा कर रहे हैं। कार्यालय कार्य के लिए एक वरिष्ठ व एक कनिष्ठ लिपिक भी नहीं है। अस्पताल में ओटी (ऑपरेशन कक्ष)भले बनाया गया हो, किन्तु आज तक उसका प्रयोग नहीं हुआ है। यहां ओटी सहायक,ईसीजी तकनीकी की नियुक्ति नहीं हो सकी है।
प्रभारी स्वास्थ्य अधीक्षक डॉ. सुशील कुमार ने बताया कि कम स्टाफ व सुविधाओं में अच्छा करने का प्रयास किया जाता है। स्टाफ की कमी जग जाहिर है। यदि स्टाफ पूरा हो तो हम लोगों को अपेक्षित सुविधा दे सकते हैं।
महिलाओं को उठानी पड़ रही परेशानी : यहां कोई महिला चिकित्सक के नहीं होने से महिला रोगियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। उन्हें निजी महिला डॉक्टर से इलाज कराना मजबूरी है।
नहीं है एक्स-रे मशीन :
नाम सीएचसी काम पीएचसी का भी नहीं। यहां अभी तक एक्स-रे मशीन नहीं है। रेडियोलॉजिस्ट की नियुक्ति नहीं हुई। डार्करूम असिस्टेंट कार्यरत है। एक्स-रे मशीन न होने से वह घर बैठे वेतन ले रहा है।
वार्डों में अव्यवस्था :
अस्पताल में एक महिला व दो पुरुष वार्ड बनाए गए हैं।इनमें पड़े बेड को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता हैं कि पिछले कई वर्षों से वार्ड में मरीज भर्ती नहीं किए गए हैं। अस्त व्यस्त गड्ढे, फटी पुरानी चादर, दीवारों व खिड़की के कांच पर जमी धूल वार्ड की साफ सफाई की कहानी कह रही हैं।