सब्र की सीख देती है इमाम हुसैन की कुर्बानी
संवादसूत्र, जायस : गमों का माह मुहर्रम के तीसरे दिन घरों में व इमाम बारगाहों पर नोहा, मातम व म
संवादसूत्र, जायस : गमों का माह मुहर्रम के तीसरे दिन घरों में व इमाम बारगाहों पर नोहा, मातम व मजलिसों का दौर शुरू रहा, जो देर रात तक चलता रहा। कस्बे में सैयद आबाद हुसैन, रिजवान हुसेन, मकबूल हुसैन, मो. तकी, इरशाद अली आदि के घरों पर मजलिसों का सिलसिला चलता रहा। मजलिस में कहा कि जन्नत की आरजू में कहा जा रहे है लोग। जन्नत तो कर्बला में खरीदी हुसैन ने। दुनियाओं आखिरत में जो रहता है चैन से। जीना अली से सीखे मरना हुसैन से । मजलिस को खेताबत करते हुए। जीशान हैदर ने हजरत इमामे हुसैन और उनके बहत्तर साथियों के कुर्वानियों का जिक्र करते हुए कहा कि इमाम हुसैन ने जुल्म और ज्यादती और अन्याय के विरूद्ध लड़ाई लड़कर अपनी जान गवा दी, लेकिन जालिमों के सामने सिर नहीं झुकाया। इमाम हुसैन द्वारा अपना सबकुछ
कुर्बान करके भी सब्र करने की शिक्षा देने के साथ ही सच्चा हुसेनी बनने की बात बताई। यह वाकया सुनते ही अजादारों के आखें आंसू से भीग गया और या हुसैन की सदायें बुलंद करने लगे । इस मौके पर जुलफि कार अली, सैयद सलमान अब्बास, आगा हसन, नवाब आदि तमाम अकीदतमंद मौजूद रहे ।