साथ मिलेगा तो फिर बदलेगा जीवन
अमेठी : मुसाफिरखाना कोतवाली क्षेत्र में वर्ष 1980 में हुए जमीनी विवाद में हुई हत्या के मामले
अमेठी : मुसाफिरखाना कोतवाली क्षेत्र में वर्ष 1980 में हुए जमीनी विवाद में हुई हत्या के मामले में सजा काट रहे श्याम बहादुर सिंह के जेल जाने के बाद परिवार को आर्थिक संकट से जूझना पड़ा। गरीबी आड़े आई तो बेटे को परदेश में नौकरी करने भेजना पड़ा। अब जब दो अक्टूबर को रिहाई की सूचना मिली तो परिवार एक बार फिर जीवंत हो उठा। पत्नी से लेकर घर के अन्य सदस्यों के चेहरे पर बदलाव की उम्मीद साफ दिखने लगी।
मुसाफिरखाना कोतवाली क्षेत्र के दखिनगांव में जमीनी विवाद को लेकर हुई बैजनाथ सिंह की हत्या के मामले में आरोपित रहे मुंशीगंज कोतवाली क्षेत्र के परभनपुर गांव निवासी श्याम बहादुर सिंह को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सुलतानपुर द्वारा 11 वर्ष की सजा सुनाई गई थी। बाद में उसे सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सजा को पांच वर्ष कर दिया था। पिछले तीस सितंबर 2015 से वह सुलतानपुर जेल में सजा काट रहे हैं। दो अक्टूबर को गांधी जयंती के दिन बुजुर्ग, दिव्यांग व महिलाओं को छोड़ने का प्रस्ताव शासन द्वारा मांगा गया तो उनमें इनका नाम भी सुलतानपुर जेल अधीक्षक द्वारा दिया गया। परिवार को जब इस बात की जानकारी मिली तो सबके चेहरे पर खुशी व जीवन में बदलाव की उम्मीद दिखी। उनकी पत्नी सुभद्रा की माने तो नौ वर्ष पूर्व बड़ा बेटा बीरेंद्र घर से लापता हो गया था। बेटे को खोने से जहां परिवार में सदमे में था तो वहीं पति को न्यायालय द्वारा सजा मिली तो परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। आर्थिक संकट सामने दिखा तो छोटे बेटे सुरेंद्र को बाहर नौकरी करने भेजना पड़ा। घर पर बहू व उसके दो बच्चे का भरण पोषण बेटे के ही जिम्मे चल रहा था। यही नहीं उनका कहना है कि पति के जेल जाने के बाद जीवन ठहर गया था। रिहाई मिलने की आस ने परिवार में खुशियां ला दी हैं साथ ही जीवन में बदलाव की उम्मीदें भी दिखने लगी हैं।