हाईकोर्ट ने जारी किया राजस्व अधिकारियों से वसूली का फ रमान
तिलोई मत्स्य पालन के लिए तालाब नीलामी मामले में राजस्व अधिकारियों को पद का दुरूपयोग व मनमाना
तिलोई : मत्स्य पालन के लिए तालाब नीलामी मामले में राजस्व अधिकारियों को पद का दुरूपयोग व मनमाना रवैया अख्तियार करना महंगा पड़ा। हाईकोर्ट ने घोर लापरवाही करार दिया। हाईकोर्ट ने राजस्व हानि के लिए राजस्व अधिकारी जिम्मेदार मानते हुए तत्काल प्रभाव से वसूली कराने का आदेश दिया है। हाईकोर्ट के इस निर्णय से तहसील प्रशासन में हड़कंप है।
मामला तहसील क्षेत्र के अहमदाबाद पिपरी का है, जहां स्थित तालाब की भूमि का मत्स्य पालन हेतु नीलामी प्रक्रिया का प्रकाशन हुआ था, जिसके तहत गांव के ही रामनरायन, राम विलास व रामचंद्र ने प्रक्रिया में भाग लेते हुए अर्हताएं पूरी की थी। तदनुसार नीलामी पत्रावली स्वीकृति हेतु तत्कालीन उपजिलाधिकारी को भेजी गयी थी। बताया जाता है कि चार मई 2017 को बिना किसी स्थगन आदेश के हाईकोर्ट के समयबद्ध आदेश 30 सितंबर 2004 का हवाला देते हुए तत्कालीन उपजिलाधिकारी ने नीलामी प्रक्रिया स्थगित कर दिया, जिसके खिलाफ आवेदकों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। हाईकोर्ट ने रिट याचिका राम नरायन व अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य छह नवंबर 2019 को पारित आदेश में साफ तौर पर कहा कि संबंधित राजस्व अधिकारियों ने पंद्रह वर्षो तक बिना किसी न्यायालय के रोक के बाद भी नीलामी प्रक्रिया स्थगित रखा। इस दौरान तालाब की नीलामी न होने से हुई राजस्व हानि के लिए वे जिम्मेदार है और उनसे इस हानि की वसूली की जाय। साथ ही तीन सप्ताह के अंदर नीलामी सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिए।
-उपजिलाधिकारी बोले
एसडीएम सुनील कुमार त्रिवेदी ने बताया कि मामला संज्ञान में आया है। माननीय न्यायालय के आदेशों का अनुपालन सुनिश्चित कराने हेतु विधिक प्रक्रिया अपनाई जा रही है।