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बढ़ी सीमाएं अब लौटेगा सुनहरे अतीत वाले जायस का वैभव

गुरु गोरखनाथ व प्रेम के कवि मलिक मोहम्मद जायसी का जन्म हुआ था। सड़कें बदहाल हैं तो पीने के पानी की समस्या से अब भी यहां की आबादी को दो-चार होना पड़ रहा है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 22 Dec 2020 11:29 PM (IST)Updated: Tue, 22 Dec 2020 11:29 PM (IST)
बढ़ी सीमाएं अब लौटेगा सुनहरे अतीत वाले जायस का वैभव
बढ़ी सीमाएं अब लौटेगा सुनहरे अतीत वाले जायस का वैभव

दिलीप सिंह, अमेठी

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जायस की सीमाओं का विस्तार 85 साल बाद हुआ है। अब सुनहरे अतीत का वैभव लौटने की उम्मीद लोगों के मन में जगी है। जिले ही नहीं रायबरेली की भी सबसे पुरानी नगर पालिका परिषद जायस का अतीत बहुत ही सुनहरा है। लेकिन, वर्तमान में यहां कुछ भी ऐसा नहीं है, जिसे देखकर लगे कि यह वही नगर है, जहां कभी गुरु गोरखनाथ व प्रेम के कवि मलिक मोहम्मद जायसी का जन्म हुआ था। सड़कें बदहाल हैं तो पीने के पानी की समस्या से अब भी यहां की आबादी को दो-चार होना पड़ रहा है। समस्याओं के मकड़जाल में उलझे इस पुराने नगर को अब अपनी सीमाओं के विस्तार के साथ पुराने मुकाम व सम्मान का गौरव मिलेगा, जिसका वह वास्तव में हकदार है।

नगर पालिका परिषद अध्यक्ष जायस महेश प्रताप सोनकर ने बताया कि गत दो वर्षो में सांसद स्मृति ईरानी के प्रयास से दो हजार से ज्यादा परिवारों को पक्का आवास मिला है। उनके ही प्रयास से नगर की सीमाओं का विस्तार हुआ है। सीमा विस्तार से नगर एक बार फिर अपने पुराने गौरव को हासिल करेगा। नगर के विकास के लिए हर स्तर पर काम हो रहा है। जिलाधिकारी अरुण कुमार ने बताया कि नगर पालिका परिषद जायस की सीमा विस्तार का लाभ सभी को मिलेगा। अब नए सिरे से नगर को विकसित किया जा सकेगा। सीमा विस्तार से नगर में विकास को भी नया आयाम मिलेगा।

सीमा विस्तार के बाद नगर पर एक नजर :

कुल आबादी - 55,203

मतदाता - 48,399

क्षेत्रफल - 1002.843 हेक्टेयर

वार्ड - 25 कब और क्या हुआ :

टाउन एरिया बनी - 1935 (अंग्रेजी हुकूमत)

नगर पालिका परिषद - 25 मार्च 1982

पहली बार हुआ मतदान - नवंबर 1988

पहली बार सीमा विस्तार - 21 दिसंबर 2020 शहर के विकास पर खर्च हुए करोड़ों :

1935 से अब तक 85 वर्ष बीत चुके हैं। इन वर्षों में नगर को विकसित करने के लिए करोड़ों रुपये खर्च हो चुके हैं। सड़क, नाली निर्माण के साथ शहर को रोशन करने के लिए जितनी रकम खर्च हुई है। उसके मुताबिक विकास दिखता नहीं है, जबकि प्रति वर्ष विकास के लिए एक करोड़ 35 लाख रुपये की धनराशि विभिन्न मदों से मिलती है। अब जिम सेंटर व खेल के मैदान के मिल जाएगी जमीन :

नगर में जिम सेंटर व खेल के मैदान के लिए जमीन की तलाश काफी समय से चल रही है। अब नगर की सीमा के विस्तार के साथ जमीन का संकट भी खत्म हो गया है। 85 सालों बाद हुआ सीमा विस्तार :

जायस ऐसी इकलौती नगरीय बस्ती होगी, जो कि अंग्रेजी हुकूमत द्वारा तय किए गए क्षेत्रफल से आज तक एक इंच भी बढ़ नहीं पाई थी। सोमवार को प्रदेश सरकार ने जायस नगर की सीमा का विस्तार कर दशकों पुरानी मांग पूरी कर दी है। नगर में आए अस्पताल व थाना :

नगर की सीमा के विस्तार के साथ अस्पताल व कोतवाली शहर में आ गए हैं। अभी तक नगर पालिका कार्यालय के सामने की सड़क के बाद का पूरा हिस्सा बहादुरपुर ग्राम पंचायत में आता था। अंग्रेजी हुकूमत ने बनाया टाउन एरिया :

जायस वैसे तो बहुत पुराना नगर है। कई बार बसने व ध्वस्त होने के बाद भी जायस नगर आज भी कायम है। 1935 में अंग्रेजी हुकूमत ने नगर को टाउन एरिया बनाया था। मार्च 1982 में नगर को नगर पालिका परिषद का दर्जा मिला। जो हुआ उस पर भी डालें एक नजर :

एलईडी लाइट : 550

इंटरलाकिग : 185

डस्टबिन : 250

कंटेनर : 21

सार्वजनिक शौचालय : 05

मोबाइल शौचालय : 01

कूड़ा कंटेनर : 01

ट्रैक्टर-ट्रॉली : 02

फागिग मशीन : 01

टैंकर पानी : 06

स्टील के टैंकर पानी : 02

सीवर सेक्शन मशीन : 01

स्काई लिफ्ट : 01

जेसीबी : 01

लोडर : 01

कूड़ा गाड़ी : 02

दवा छिड़काव की मशीन : 01

सौर ऊर्जा : 200

शौचालय के लिए अनुदान : 724 जल्द होगा इन पर काम :

- एक करोड़ 24 लाख रुपये की लागत से पंप हाउस का निर्माण

- पांच करोड़ रुपये से ज्यादा की लागत से वार्डो में विकास कार्यो का प्रस्ताव

- गुरू गोरखनाथ व कवि जायसी शोध संस्थान व जन्मस्थल पर करोड़ों रुपये की लागत से पयर्टन के हिसाब से विकास तरक्की के इन बिदुओं का होगा उदय :

- नगर में 268 आवासीय कालोनियों का निर्माण हुआ पर दस साल में नहीं हुआ आवंटन

- नगर के वार्डो की नहीं बदली बिजली, पानी व सड़क की हालत

- नगर में सीएचसी अस्पताल का है अभाव

- रोडवेज का नहीं है अपना बस स्टेशन, सड़क पर रुकती हैं बसें व अन्य सवारी गाड़ियां

- टेक्निकल शिक्षा के साथ ही माडर्न शिक्षा के लिए अभी तक नहीं खुले स्कूल व कालेज। डिग्री कालेज का भी अभाव

- मनोरंजन का साधन एकमात्र सिनेमाहाल 15 साल से बंद

- पार्किंग की भी नहीं है कोई व्यवस्था

- शहर में नहीं है अपनी सब्जीमंडी, सड़क पर सजती हैं दुकानें

- यातायात व्यवस्था का अभाव

- स्टेडियम नहीं होने से इधर-उधर खेलते हैं नगर के बच्चे

- सीवर लाइन नहीं होने से बरसात में जगह-जगह होता है जलभराव

- नगर में नहीं है कोई कॉम्प्लेक्स

- एक पार्क था, जहां बन गई आवासीय कालोनी

- गोशाला का नहीं हुआ निर्माण, सड़क पर टहलते हैं बेसहारा पशु

- नगर में नहीं कोई श्मशान घाट

- कासिमपुर हाल्ट नहीं बन पाया जायस सिटी रेलवे स्टेशन

- रैन बसेरा का भी है अभाव

-नगर में नहीं कोई सामुदायिक बरातघर

- नगर में डंपिग ग्राउंड का है अभाव

- अल्प संख्यक कल्याण आवासीय स्कूल भी नहीं

- पेयजल के लिए ओवरहेड टैंक व गहरे नलकूप की है दरकार


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