पर्यावरण संरक्षण का नारा, हरे पेड़ों पर चल रहा आरा
वन माफिया खुलेआम चुनौती दे रहे। वन विभाग और पुलिस महकमे की मिलीभगत से हौसला बुलंद है।
अग्निवेश मिश्र, सिंहपुर, (अमेठी)
वन माफिया पर्यावरण संरक्षण नीति को खुलेआम चुनौती दे रहे हैं। वन रेंज तिलोई में लगभग हर रोज हरियाली पर दिनदहाड़े आरा चल रहा है। दरअसल, लकड़ी कारोबारियों को पुलिस और वन महकमे का संरक्षण प्राप्त है, जो कि हरे पेड़ों की कटान सार्वजनिक होने पर मामूली कार्रवाई कर पल्ला झाड़ रहे हैं।
पर्यावरण संतुलन का आधार हरे वृक्षों के संरक्षण पर सरकार प्रतिवर्ष करोड़ों रुपये खर्च कर पौधारोपण करा रही है। नागरिकों को भी जागरूक करने के साथ मुहिम से जोड़ा जा रहा है। किया जाता है। वैसे तो सभी पर्यावरण प्रदूषण के नियंत्रण के लिए वृक्षों की सुरक्षा का नारा लगाते हैं। बावजूद इसके वन माफिया का आरा मिलीभगत के चलते थम नहीं रहा है। ऐसे में हर रोज हरे पेड़ों का विनाश हो रहा है, जिससे हरियाली की चादर सिकुड़ती जा रही है। वहीं, वन विभाग और पुलिस महकमा भी साठगांठ के चलते वन माफिया और लकड़ी कारोबारियों को संरक्षण प्रदान कर रहा है, जिसके चलते आम, नीम और महुआ जैसे पेड़ों का कटान जमकर किया जा रहा है। कोई सख्त कार्रवाई नहीं होने से इनके हौसले भी बुलंद हैं।
रेंजर तिलोई लालजी मौर्य ने बताया कि किसी भी कीमत पर प्रतिबंधित पेड़ों की कटान नहीं होने दी जाएगी। ऐसा मामला जहां पर भी संज्ञान में आया है, दोषियों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई की गई है।
ये मामले आए सामने :
केस-1 : गत दो दिसंबर को शिवरतनगंज थाना क्षेत्र के पट्टी बक्सी मठ मजरे पंहौना में दर्जनभर आम के हरे वृक्षों पर आरा चला। मामला उच्चाधिकारियों तक पहुंचा तो हरकत में आए वन विभाग ने कारोबारी के खिलाफ केस दर्ज कराया।
केस-2 : गत 12 दिसंबर को लकड़ी कारोबारियों ने कोटवा गांव में आम और पूरे जोरई में सागौन के हरे पेड़ों को धराशायी कर दिया। सूचना पर वन दारोगा ने आरोपितों के खिलाफ थाना पुलिस को तहरीर दी।
केस-3 : गत 12 दिसंबर को ही मोहनगंज थाने के जामोदीप गांव में कई दशक पुराने महुआ के हरे पेड़ों को दिनदहाड़े काटा गया। मामला उजागर हुआ तो कारोबारी पर सात हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया।