आश्वासन का बहुत हुआ बहाना, अब निर्माण चहिए
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शहर पहुंच दूर हैं पर दूरी नहीं। हां इतना जरूर है कि जान को जोखिम में डाला जाए तो बस रेलवे लाइन पार किया और शहर पहुंच गए। यह दर्द उन ग्रामीणों का है जो पिछले 35 वर्षो से अंडर पास की मांग को लेकर लड़ रहे है। इस लड़ाई में उन्हें मुकदमा व जेल के साथ आश्वासन ही मिल सका है। यही नहीं ग्रामीण कई हादसों के शिकार भी हो चुके हैं। इनमें कई लोगों की जानें भी चली गई हैं, लेकिन आज तक अंडर पास का निर्माण नहीं हो सका है। निर्माण के लिए बोर्ड वर्ष 2014 में लगाया गया, लेकिन काम का श्रीगणेश नहीं हुआ। गांव में पहुंची जागरण टीम ने जब ग्रामीणों से बातचीत की तो सभी ने एक सुर में कहा अब निर्माण चहिए। ग्रामीणों की चर्चाओं पर पेश है एक रिपोर्ट ..
जागरण संवाददाता, अमेठी : अमेठी तहसील क्षेत्र के तीन गांव विरहिमपुर, बारामासी व रेलवे स्टेशन के पूर्वी केबिन पर अंडर पास की मांग वर्ष 1984 में राजीव गांधी से शुरू हुई थी। दो दर्जन गांव के एक लाख की आबादी को भी शहर से दूरी का दंश झेलना पड़ रहा है। अमेठी निवासी प्रमोद मिश्रा ने कहा कि छोटी-छोटी बच्चियां इसी रास्ते से प्रतिदिन रेलवे लाइन पार कर विद्यालय जाती हैं। हर समय हमें अपने बच्चों की फिक्र लगी रहती है। इसका निर्माण होना बहुत जरूरी है। रायदैयपुर गांव के पूर्व प्रधान मुमताज खान कहते हैं कि 1984 में राजीव गांधी से इसकी मांग की गई थी, उन्होंने निर्माण का आश्वासन दिया था। मांग उचित है, लेकिन आज तक पूरा नहीं किया गया। राजेंद्र सिंह चौहान ने कहा कि धरना प्रदर्शन किया, लेकिन इसके बाद भी सुनवाई नहीं हुई। रामदैयपुर के गिरीशचंद्र ने कहा कि 35 वर्षो से हम इसके लिए लड़ाई लड़ रहे हैं, फिर भी कोई सोचने वाला नहीं है। सुरेंद्र सिंह, धर्मपाल यादव, शीर्ष कुमार ने भी कहा कि अंडरपास न होने दस किमी की दूरी अधिक तय करनी पड़ती है। अगर अंडर पास बन जाय तो शहर दो किमी रह जाएगा। अब इसके लिए आश्वासन नहीं चाहिए। सीधा निर्माण पूरा किया जाय। बोर्ड लगाकर काफी समय तक गुमराह किया जा चुका है, अब ऐसा नहीं होगा।