गयासपुर तक नहीं पहुंची विकास की किरण
अमेठी : सरकारें भले ही योजनाओं के माध्यम से लोगों को सुविधाएं देने की बात करती हों,
अमेठी : सरकारें भले ही योजनाओं के माध्यम से लोगों को सुविधाएं देने की बात करती हों, लेकिन क्षेत्र का एक ऐसा गांव भी है, जो शासन द्वारा चलाई जा रही योजनाओं से मरहूम हैं। गांव में विकास की किरण तक नहीं पहुंच सकी है। जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों की मनमानी का खामियाजा आज भी ग्रामीण भुगतने को मजबूर हैं और जिम्मेदार मलाई काटने में मस्त हैं।
हम बात कर रहे हैं विकास खंड के ग्राम पंचायत गयासपुर का। यह गांव आज विकास की बाट जोह रहा है। अब तक यहा पर न तो जनप्रतिनिधि और न ही अधिकारियों के सहयोग से कोई काम हो सका है। गाव में दलितों के करीब 40 से 45 परिवार गुजर बसर कर रहे हैं। दलित बस्ती में न तो आज तक जल निकासी के लिए नाली बनी है न ही आवागमन के लिए खड़ंजा मार्ग ही बनाया जा सका है। गाव के विकास के लिए आने वाले धन का सदैव लोगों ने बंदरबाट ही किया। गांव में जगह-जगह गंदगी व कीचड़ फैला हुआ है। कीचड़ के बीच से ही ग्रामीण आने-जाने को मजबूर हैं,जिसके चलते ग्रामीणों पर संक्रमित बीमारियों का खतरा मंडराने लगा है। गाव तक नहीं पहुंची स्वच्छ सर्वेक्षण की टीम
सरकार ने गावों की स्वच्छता की माप के लिए टीम बनाकर भले ही एक अगस्त से 31 अगस्त तक स्वच्छ सर्वेक्षण का कार्यक्रम चलाया हो, किन्तु गाव में जलभराव व फैली गंदगी से टीम शायद रूबरू नहीं हुई। गाव में परीदीन रैदास की पत्नी के खाते में एक इज्जत घर जरूर आया, किन्तु प्रधान द्वारा बनवाए गए इस इज्जतघर में आज तक दरवाजा भी नहीं लगा। गाव के पूर्वी छोर पर बसी दलित आबादी में एक मात्र हैंडपंप लगा है वह भी गंदे पानी की चपेट में है फि र भी लोग किसी तरह से इसका पानी पी रहे हैं। क्या कहते हैं ग्रामीण
अपनी जिंदगी के 80 साल गुजर चुके जगरूप ने कहाकि विकास के नाम पर गांव में कुछ नहीं हुआ। जगह-जगह पानी भरा हुआ, कोई देखने वाला नहीं है। मजदूरी के सहारे परिवार का पालन पोषण कर रहे राम नेवल ने बताया कि हर एक नेता कर्मचारी ने इसे दलितों की बस्ती मानी और यहा तक विकास को नहीं पहुंचने दिया। क्या कहते हैं जिम्मेदार
इस संबंध में खंड विकास अधिकारी से जब बात की गयी तो पहले तो उन्होंने एडीओ पंचायत से बात करने को कहा, लेकिन जब यह पूछा गया कि गाव की दलित बस्ती में नाली खडं़जा का निर्माण क्यों नहीं हुआ तो उन्होंने इसके लिए ग्राम पंचायत को ही जिम्मेदार ठहराया।