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सड़कों का मकड़जाल, गड्ढ़ों से चलना हुआ दुश्वार

जागरण संवाददाता, अमेठी : सड़कों को विकास का पैमाना कहा जाता है और अमेठी में सड़कों

By JagranEdited By: Published: Tue, 11 Dec 2018 12:07 AM (IST)Updated: Tue, 11 Dec 2018 12:07 AM (IST)
सड़कों का मकड़जाल, गड्ढ़ों से चलना हुआ दुश्वार
सड़कों का मकड़जाल, गड्ढ़ों से चलना हुआ दुश्वार

जागरण संवाददाता, अमेठी : सड़कों को विकास का पैमाना कहा जाता है और अमेठी में सड़कों की दशा ऐसी है कि इन्हें देखकर ही पसीना आ जाता है। बरसात में कौन कहे यहां तो बेमौसम ही सड़कों पर पानी भरा रहता है। गांव की सड़क से लेकर राष्ट्रीय राजमार्ग तक कमोबेश एक सी तस्वीर दिखती है। हर दिन किसी न किसी कोने से सड़क हादसे की खबरें आती हैं। सड़क सेंट्रल की हो या फिर स्टेट कोई गड्ढामुक्त नहीं है। प्रस्तुत है अभिषेक मालवीय और दिलीप सिंह की रिपोर्ट ..। रायबरेली से अयोध्या का सफर भी नहीं सुहाना

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थौरी से तिलोई तक गड्ढे ही गड्ढे

अमेठी : 109 किमी. लंबी रायबरेली-अयोध्या रोड को राष्ट्रीय राजमार्ग का दर्जा तो हासिल है पर सड़क को देखकर ऐसा लगता नहीं है। जिले की औद्योगिक नगरी के रूप में पहचान रखने वाली जगदीशपुर से होकर गुजरने वाली सड़क की हालत तिलोई से थौरी तक एक सी ही है। थौरी गांव में तो सड़क पर कई फीट तक गहरे गड्ढे सड़क पर हुए हैं। जिम्मेदार भी बड़ी आसानी से इसी रास्ते से गुजर जाते हैं। सड़क की मरम्मत के लिए 46 करोड रुपये की धनराशि खर्च हो चुकी है, लेकिन सड़क के गड्ढों के आकार में किसी भी तरह की तब्दीली नहीं हुई है।

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साहब एनएच है, तीन किमी. में 30 गड्ढे

-1376.29 करोड रुपये खर्च पर नहीं बदली तस्वीर

अमेठी : जिले के सबसे पुराने व ऐतिहासिक व पौराणिक नगर जायस से होकर गुजारने वाली सड़क को भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) 232 के नाम से जाना जाता है। 289 किमी. लंबी यह सड़क अमेठी के साथ ही रायबरेली, सुलतानपुर, फतेहपुर बांदा व अम्बेडकरनगर के टांडा को सीधे जोड़ती है। जायस नगर से होकर गुजरने वाली तीन किमी. सड़क पर तीस बड़े गड्ढे हैं, जो हर दिन क्या हर घड़ी हादसे की वजह बनते हैं। सड़क के निर्माण पर खर्च तो 1376.29 करोड रुपये हुए हैं, लेकिन सड़क के किनारे नाली तक नहीं बनी है। डीएम से लेकर मंत्री तक से गुहार लगाई, धरना-प्रदर्शन व रोड जाम के साथ व्यापारियों ने अपनी दुकानों को विरोध में बंद रखा, लेकिन बात नहीं बनी।

-बाईपास है या तालाब कहना मुश्किल

अमेठी नगर में लगने वाले जाम से निजात दिलाने के लिए शहर के बाहर बाईपास का निर्माण लोक निर्माण विभाग ने छह करोड की लागत से 2006 में किया था। छह किमी. बाईपास बनने के साथ ही अपने घटिया निर्माण के चलते चर्चा में आये और साल, महीनों को कौन कहे कुछ दिन में ही उखड़ गई। बीते 12 सालों में बनने के साथ ही तीन बार इस सड़क की मरम्मत पर भी करोड़ों की लागत खर्च हो चुकी है। इसके बाद भी पूरी सड़क जर्जर है। -गौरीगंज का एक गड्ढा सब पर भारी

सड़कों पर गड्ढे तो बहुत हैं पर जिला मुख्यालय गौरीगंज से सुलतानपुर की ओर बढ़ते ही सड़क पर हुआ एक बड़ा गड्ढा सब भारी दिखता है। यहां आये दिन वाहन फंसते हैं और लोग गिरते हैं। अभी कुछ माह पहले कांग्रेस ने इसको भरने को लेकर अंदोलन करने की चेतावनी दी तो रातोंरात जिला प्रशासन ने मिट्टी व ईंट-पत्थर डाल कर भर दिया था, लेकिन वह भी अधिक दिन तक नहीं चल पाया। इन भी करें गौर

11 माह

329 हादसे

192 मौत

190 गंभीर घायल

347 चोटिल मामूली

-साहब की भी सुनिए

सड़कों के नोडल अधिकारी और लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता को इस संदर्भ में निर्देशित किया गया है कि सड़कों पर हुए गड्ढों को प्रमुखता से भरवाएं। जिससे हादसों में कमी लाई जा सके।

ईश्वर चंद्र, एडीएम, अमेठी


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