जय प्रकाश पांडेय, तिलोई (अमेठी): आइए आपको सरकारी सच के सिस्टम से वाकिफ कराते हैं। गोवंश के संरक्षण के लिए सरकारी खजाने का एक करोड़ बीस लाख खर्च कर वृहद गो संरक्षण केंद्र खोला गया, जिसका शिलान्यास भी हो चुका है। लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि केंद्र आज भी खाली पड़ा है। इस ठिठुरन भरे सर्द मौसम में मवेशी खुले में घूमने को मजबूर हैं। गोसंरक्षण को लेकर सूबे की सरकार काफी संजीदा है। हाल ही में तमाम माननीयों ने अपनी निधि से धन खर्च करने की पहल भी की है। सरकार की मंशा बेजुबानों को सुविधाएं मुहैया कराने की है। हरा चारा से लेकर चोकर तक खिलाने व इन्हें ठंड से बचाने का फरमान है। लेकिन, यहां सब कुछ उलट है। संरक्षण के नाम पर बेजुबान सर्द मौसम में घूमने व खुले में बैठने को मजबूर हैं। गोआश्रय स्थलों में भी गोवंशीय सुरक्षित नहीं हैं। यहां इन्हें तेज हवा से बचने के लिए पल्ली तक का इंतजाम नहीं है।

खाली पड़ा है सिंहपुर का वृहद गो संरक्षण केंद्र

राज्यमंत्री मयंकेश्वर शरण सिंह ने एक करोड़ बीस लाख की लागत से बने केंद्र का शिलान्यास 19 दिसंबर को किया था, जो खाली पड़ा है। जबकि आस पास के गांवों में बेसहारा पशु घूम रहे हैं। इतना ही नहीं इस कड़ाके की ठंड में गोआश्रय स्थलों में आए दिन बेजुबान मौत का शिकार हो रहे हैं। हाल ही में ढोढनपुर, लौली व दांदूपुर के गोआश्रय स्थलों में पशुओं के मरने की खबरें प्रकाशित हुई थी, लेकिन जिम्मेदारों ने इसपर पर्दा डाल दिया।

सरकारी आंकड़ों में नहीं है बेसहारा पशु

जिम्मेदारी से बच खानापूर्ति करने वाले अफसरों की निगाह में भले ही बेसहारा पशुओं की संख्या शून्य है, लेकिन किसानों की मानें तो गांव गांव में बेसहारा पशुओं की तादात सैकड़ों में है। शिवरतनगंज, तिवारीपुर, सेमरौता, सतगंवा, ठोकरपुर, बसंतपुर, राजापुर हलीम, रतवलिया मैंझार समेत मार्ग पर भी घुमंतू पशु देखने को मिलते हैं।

साहब की सुनिए

जिला पशु चिकित्सा अधिकारी जेपी सिंह कहते हैं इतनी भी क्या जल्दी है प्रस्ताव भेजा गया है बाउंड्रीवाल बनने के बाद ही यहां गोवंश के पशुओं को रखा जाएगा। वहीं खंड विकास अधिकारी विजय कुमार अस्थाना का कहना है कि अभी यह केंद्र ग्राम पंचायत को सुपुर्द नहीं हुआ है।

किसानों की गेहूं की फसल चट कर रहे बेसहारा पशु

किसान श्रीचंद्र चौरसिया ने बताया कि सिंहपुर के आसपास सैकड़ों बेसहारा पशु गेहूं सहित सभी रबी की फसलों को चौपट कर रहे हैं। बेसहारा पशुओं द्वारा पहुंचाए जा रहे नुकसान को देखकर किसान की छाती फट जाती है। बृहद गो आश्रय स्थल बनने से आशा बंधी थी कि राहत मिलेगी।

Edited By: Ritu Shaw