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अनुबंध की खेती बदलेगी किसानों की किस्मत

प्रोफेसर एमके अग्रवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा नए कृषि कानून के बारे में किसानों को जागरूक करने की आवश्यकता है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 23 Dec 2020 10:59 PM (IST)Updated: Wed, 23 Dec 2020 10:59 PM (IST)
अनुबंध की खेती बदलेगी किसानों की किस्मत
अनुबंध की खेती बदलेगी किसानों की किस्मत

अमेठी : बुधवार को किसान दिवस पर भारत सरकार के सूचना प्रसारण मंत्रालय द्वारा किसान दिवस पर परतोष के ग्राम भारती सरस्वती शिशु मंदिर में ग्रामीण मीडिया कार्यशाला आयोजित की गई। इसमें किसानों से जुड़ी समस्याओं के साथ नए कृषि कानून बिल पर विशेषज्ञों ने अपने अपने विचार रखें।

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लखनऊ यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर एमके अग्रवाल ने कहा कांट्रेक्ट फार्मिंग बिल को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नए कृषि कानून के बारे में किसानों को जागरूक करने की आवश्यकता है। कानून के लागू होने से किसान की आय दोगुनी हो जायेगी और किसान अत्याधुनिक कृषि उपकरणों से आसानी से जुड़ पाएंगे। मौजूदा समय मे कृषि लागत बढ़ चुकी है। कांट्रैक्ट फार्मिंग खेती से किसानों को इसका लाभ होगा। विधायक प्रतिनिधि अनंत विक्रम सिंह ने कहा कि किसानों को नए कृषि कानून में एमएसपी के मुताबिक उचित मूल्य मिलता रहेगा। विपक्ष किसानों को भ्रमित कर रहा हैं।

सीडीओ डॉ. अंकुर लाठर ने कहा नए कृषि कानून को प्रचार प्रसार करने की जरूरत हैं, ताकि किसान कानून को समझ सकें। इस कार्य में मीडिया की विशेष भूमिका हैं। कार्यक्रम को प्रदेश निरीक्षक ग्राम भारती राज बहादुर दीक्षित, गोविद सिंह चौहान, रवीन्द्र सिंह, रमाकांत त्रिपाठी, राजेश सिंह, सालिखराम यादव ने अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का संचालन श्रीकांत श्रीवास्तव और धन्यवाद ज्ञापन अनुग्रह नारायण मिश्र ने किया। इस मौके पर डॉ आशुतोष दूबे, प्रो. शिवकार तिवारी,डॉ श्रीकांत श्रीवास्तव,बीडीओ हरिश्चंद्र, अशोक सिंह, अखण्ड प्रताप सिंह, विजय मौर्या, राजीव शुक्ला,रामकेवल यादव, समर बहादुर सिंह, राकेश यादव, सुधांशु पाण्डेय, अर्जुन शुक्ल, रवि सिंह आदि लोगों मौजूद रहे।

फसल की सुरक्षा के लिए खेतों में किसान लगा रहे कंटीले तार

संवादसूत्र, सिंहपुर(अमेठी) : पशु आश्रय स्थल होने के बाद भी कई गांवों के किसान छुट्टा मवेशियों के उत्पात से परेशान हैं। गांवों में बेसहारा पशुओं की समस्या अभी पूरी तरह समाप्त नहीं हुई है। जानवरों से मेहनत की फसल को बचाने के लिए किसान अब खेतों की सुरक्षा के उपाय कर रहे हैं। अधिकांश गांवों में बेसहारा गोवंश और नीलगाय के आतंक से फसल की रक्षा के लिए कंटीले तार की बाड़ लगाई जा रही है।

आलू और तिलहन के बाद अब गेहूं की बुआई की गई है। सर्दी का मौसम शुरू हो चुका है। ऐसे में किसान खेतों में रखवाली के बजाय अपने घरों में रहेंगे। इसका फायदा उठाकर बेसहारा गोवंश और नीलगाय खेतों में बोई गई फसल को चट कर सकते हैं। इससे सशंकित अन्नदाता अब ऐसे मवेशियों से फसल को बचाने के लिए खेतों की सुरक्षा के प्रबंध कर रहा है। रबी की फसल को बेसहारा मवेशियों से बचाने के लिए किसान अतिरिक्त धनराशि खर्च कर खेतों की सुरक्षा के लिए बाड़ बनाने में जुटे हैं। यही नहीं कई किसान फसल की रखवाली करने में भी धन खर्च कर रहे हैं। किसान कमलेश अग्निहोत्री कहते हैं कि छुट्टा मवेशियों की समस्या अभी पूरी तरह समाप्त नहीं हुई है। बेसहारा मवेशी अभी भी रात दिन गांवों और सड़कों पर विचरण कर रहे हैं और मौका मिलते ही फसल नष्ट कर देते हैं। इसके अलावा रात के समय नीलगायों के झुंड भी फसल को बर्बाद कर देते हैं। ऐसे में किसान खेतों की रखवाली के बजाय कंटीले तार की बाड़ लगाकर फसल सुरक्षा की जुगत में जुटे हैं। इन गांवों में है पशु आश्रय स्थल :

बेसहारा मवेशियों की समस्या से किसानों को निजात दिलाने के लिए ब्लाक क्षेत्र में तीन पशु आश्रय स्थल बनाए गए हैं। पश्चिमी छोर पर बसे जैतपुर, पूर्वी छोर पर फूला और ब्लाक के मध्य क्षेत्र के खारा गांव में पशु आश्रय स्थल बने हैं। इनमें लगभग एक हजार बेसहारा गोवंश पल रहे हैं।


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