चित्रकूट व अयोध्या धाम से नहीं जुड़ सकी अमेठी
अमेठी भगवान श्रीराम लक्ष्मण व मां सीता जिस पथ से होकर अयोध्या से चित्रकूट पहुंचे थे। उस प
अमेठी : भगवान श्रीराम, लक्ष्मण व मां सीता जिस पथ से होकर अयोध्या से चित्रकूट पहुंचे थे। उस पथ पर रेलवे का पथ बनाने का सपना अस्सी के दशक में संजय व राजीव गांधी ने देखा गया। काम भी शुरू हुआ, लेकिन बात आगे नहीं बढ़ पाई। 2013 में यूपीए सरकार के अंतिम दिनों में राहुल गांधी ने रेल मंत्री मल्लिकार्जुन खड़गे की मौजूदगी में सलोन में बड़ा कार्यक्रम कर रेलवे की तीन बड़ी परियोजनाओं की आधारशिला रखी पर छह साल बाद कुछ खास प्रगति नहीं हो पाई है। 13 अरब 31 करोड़ की लागत से बनने वाले रेल पथ के निर्माण में अभी कागजी घोड़े ही दौड़ाए जा रहे हैं।
अमेठी के रास्ते भगवान श्रीराम की जन्मस्थली अयोध्या को चित्रकूट धाम से जोड़ने का सपना 50 साल बाद भी सपना ही बना हुआ है। सबसे पहले संजय गांधी ने दोनों प्रमुख तीर्थ स्थलों को जोड़ने का सपना देखा। उनकी मौत के बाद राजीव गांधी 1982 में फिर रेल पथ की योजना पर अमल शुरू किया और अमेठी में रेलवे ने कार्यालय का निर्माण कर योजना पर काम भी शुरू कर दिया, लेकिन उनकी मौत के बाद सबकुछ थम गया। वर्ष 2013 में 26 नवंबर को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने तीन रेल परियोजनाओं की आधारशिला रखी, तो लगा कि अब दशकों पुराना सपना हकीकत में बदल जाएगा पर पांच साल से अधिक वक्त बीत जाने के बाद भी रेल परियोजनाओं ने जमीन पर कोई खास प्रगति नहीं की। शाहगंज से ऊंचाहार को अमेठी व सलोन के रास्ते वाली 67 किमी. रेल पथ का निर्माण 380 करोड़ रुपये की लागत से होना है। वहीं रायबरेली से तिलोई के रास्ते अकबरगंज-इन्हौना को जोड़ने वाली 47 किमी. लंबी रेलवे लाइन का निर्माण 296 करोड़ व अकबरगंज को अमेठी के बाजारशुकुल के रास्ते अयोध्या से जोड़ने वाली 69 किमी. लंबे रेल पथ का निर्माण 655 करोड़ रुपये की लागत से होना है। अमेठी से अयोध्या को जोड़ने वाली तीनों ही रेल परियोजनाएं अधर में ही अटकी हुई हैं। कांग्रेस व भाजपा एक दूसरे पर परियोजनाओं को जमीन पर आधार न मिल पाने का दोषी बताते हैं, लेकिन उन्होंने रेल पथ के निर्माण के लिए खुद क्या किया। यह कोई नहीं बताता हैं।