पापा की परी ने लगाए सपनों को पर
हर मां-बाप अपने बच्चों को लेकर तमाम सपने संजोते हैं और उनको पूरा करने के जतन
अमेठी : हर मां-बाप अपने बच्चों को लेकर तमाम सपने संजोते हैं और उनको पूरा करने के जतन भी करते हैं। इसके बाद बारी होती है संतान की, जो अपनी जिम्मेदारी और जिजीविषा से मां-बाप के सपनों को पंख लगाते हैं। यह एक ऐसी पापा की परी की कहानी है, जिसने पहले ही प्रयास में डॉक्टर बनने की मंजिल पर पांव रख दिया। केंद्रीय विद्यालय में शिक्षा हासिल कर पहले ही प्रयास में सीपीएमटी की परीक्षा पास करने वाली अर्चिता अब डॉक्टर बनने को हैं।
तिलोई क्षेत्र का छोटा सा गांव पूरे दान सिंह मेढौना, जो शैक्षिक रूप से काफी पिछड़ा हुआ है। बमुश्किल चालीस घरों के इस छोटे से गांव में पली बढ़ी अर्चिता ने भी पढ़ाई-लिखाई के दौरान हर लड़कियों की तरह तमाम सपने संजोए थे, लेकिन अर्चिता के पिता कृष्ण कुमार सिंह उर्फ मुन्ना का सपना था कि बेटी डॉक्टर बनकर समाज की सेवा करे। केंद्रीय विद्यालय में हासिल की शिक्षा : जगदीशपुर के केंद्रीय विद्यालय में प्राथमिक शिक्षा हासिल किया और हाईस्कूल व इंटर की परीक्षा पास करने के साल भर के अंदर अर्चिता ने वह कर दिखाया, जो असंभव तो नहीं पर मुश्किल बहुत था। अर्चिता ने पहले ही प्रयास में मेडिकल प्रवेश परीक्षा पास कर ली। अर्चिता की पढ़ाई वर्तमान में मुरादाबाद के टीएमयू में चल रही है। मेडिकल की पढ़ाई पूरी कर वह अब डॉक्टर बनने को तत्पर हैं। अर्चिता की शिक्षा पर एक नजर
अर्चिता ने वर्ष 2016 में हाईस्कूल व 2018 में इंटर की परीक्षा अच्छे अंको से उत्तीर्ण की। वर्ष 2019 में नीट की परीक्षा पास कर एमटीयू मुरादाबाद में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही हैं। गांव का दर्द समझती है बेटी
अर्चिता डॉक्टर बन गांव के लोगों की सेवा करना चाहती हैं। सरकारी नौकरी करने के बजाय खुद वह अपना अस्पताल ग्रामीणांचल में खोल गरीबोंकी सेवा करना चाहती है। अर्चिता कहती हैं कि बाबा ब्रम्हदेव व पापा के समाज सेवा के कार्यो को लेकर मन को बहुत संतोष मिलता है।