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फैक्ट्रियों को मिले रफ्तार तो बने रोजगार की बात

अमेठी : 1976 में संजय गांधी जब पहली बार अमेठी आए तो उन्होंने अमेठी को औद्योगिक नगरी बनाने की बात कही

By JagranEdited By: Published: Fri, 19 Apr 2019 01:01 AM (IST)Updated: Fri, 19 Apr 2019 01:01 AM (IST)
फैक्ट्रियों को मिले रफ्तार तो बने रोजगार की बात
फैक्ट्रियों को मिले रफ्तार तो बने रोजगार की बात

अमेठी : 1976 में संजय गांधी जब पहली बार अमेठी आए तो उन्होंने अमेठी को औद्योगिक नगरी बनाने की बात कही। 1984 में राजीव गांधी के समय फैक्ट्रियों की स्थापना होना शुरू हो गई। जगदीशपुर को औद्योगिक क्षेत्र के रूप में जाना जाने लगा, जहां आरिफ सीमेंट, इंडोगल्फ, बीएचईएल, मालविका स्टील सहित छोटी बड़ी दो सौ फैक्ट्रियां खोली गई, लेकिन एक दशक चलने के बाद फैक्ट्रियों का शोर भी धीरे-धीरे थम गया। सम्राट साइकिल, ऊषा इलेक्ट्रीफायर, वेस्पा स्कूटर, आरिफ सीमेंट, मालविका स्टील बड़ी फैक्ट्रियां बंद हो गई। इन फैक्ट्रियों के बंद होने से अमेठी के विकास के साथ ही यहां के युवाओं को रोजगार के लाले पड़ गए और पलायन भी हुआ। स्थानीय लोग फैक्ट्रियों के पुन: संचालन उम्मीद लगाए बैठे हैं। जागरण ने इस मुद्दे को लेकर गौरीगंज में प्रबुद्ध वर्ग की चौपाल लगाई।

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वरिष्ठ अधिवक्ता रामशंकर शुक्ल कहते हैं कि फैक्ट्रियां अगर चलने लगे तो विकास खुद ब खुद बढ़ जाएगा। यहां जो फैक्ट्रियां बंद है अगर वे फिर से चल जाएं तो स्थानीय लोगों को रोजगार मिल जाएगा और इसका फायदा भी अमेठी को मिलेगा। व्यवसायी लकी ने कहा कि अमेठी संसदीय क्षेत्र को देखा जाए तो यहां रोजगार बहुत ही कम है। यहां के जो युवा हैं वह गाजियाबाद, दिल्ली व अन्य शहरों में रोजगार की तलाश में जा रहे हैं। यहां फैक्ट्रियां चालू हों तो युवाओं को बहुत फायदा होगा। अभिषेक चंद्र कौशिक ने कहा कि राजीव गांधी ने यहां के लोगों को रोजगार मिले, इसके लिए बहुत प्रयास किया। यहां सिर्फ मुद्दे बनाए गए, रोजगार के लिए किसी ने नहीं सोचा। व्यवसायी विनीत शुक्ला ने कहा कि राजीव गांधी के बाद गांधी परिवार से जो भी सांसद हुआ उसका ध्यान अमेठी की ओर नहीं रहा। अब यहां के लोगों को बाहर के प्रदेशों में रोजगार ढूंढना पड़ रहा है। फैक्ट्रियां चल जायं तो लोगों का पलायन रुक जाएगा। रोहित तिवारी, कुलदीप शुक्ला, मनु सिंह व शिक्षक अतुल पांडे ने कहा कि सरकारों ने भी कभी इस ओर ध्यान नहीं दिया। अमेठी की जो पहचान थी आज वह खंडहर में बदल गई है। पुरानी पहचान को वापस दिलाना जन प्रतिनिधि की पहली प्राथमिकता होनी चाहिए।


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