लंका दहन का मंचन देख खूशी से झूमे दर्शक
भूख से व्याकुल हनुमानजी वाटिका में फलों को देख उन्हें खाने की इच्छा जताते हैं।
अंबेडकरनगर : रामलीला समिति बसहा में लंका दहन का मंचन किया गया। इसे देखकर दर्शक झूम उठे। हनुमानजी लंका पहुंचने के बाद विभीषण की मदद से अशोक वाटिका में माता सीता से मिलकर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। भूख से व्याकुल हनुमानजी वाटिका में फलों को देख उन्हें खाने की इच्छा जताते हैं। माता सीता की आज्ञा पाते ही वह फल खाते हैं। इसके साथ वृक्षों को उखाड़ कर वाटिका तहस-नहस कर देते हैं। इसकी खबर रावण तक पहुंचती है तो वह अपने पुत्र अक्षय कुमार को अशोक वाटिका भेजता है, जहां वह हनुमानजी से हुए युद्ध में मारा जाता है। बेटे की मौत पर रावण तिलमिला उठता है और मेघनाद को अशोक वाटिका भेजता है। युद्ध में हनुमानजी ब्रम्हास्त्र के सम्मान में स्वयं को उसके अधीन कर देते हैं। रावण अपनी सेना को हनुमानजी की पूंछ में आग लगाने का आदेश देता है। पूंछ में आग लगते ही हनुमानजी अपने विकराल स्वरूप में आ जाते हैं और विभीषण की कुटिया को छोड़कर लंका को जलाकर राख कर देते हैं। इसके बाद माता जानकी के सम्मुख पहुंच एक निशानी के साथ भगवान राम के पास वापस लौटने की आज्ञा मांगते हैं। माता जानकी अपनी चूड़ामणि उतारकर देती हैं। मंचन से पूर्व भाजपा नेता केशरीनंदन त्रिपाठी ने मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के आचरण को आत्मसात करने की अपील की। समिति अध्यक्ष हृदय नारायण मिश्र, महेंद्र शर्मा, देवीप्रसाद मिश्र, प्रधान अहिरौली बेनी प्रसाद तिवारी, मनोज पांडेय, राम शब्द यादव मौजूद रहे।
किछौछा : भगवान श्रीराम की लीलाओं के मंचन का शुभारंभ अजमेरी बादशाहपुर में सोमवार को वैदिक मंत्रोचार के बीच अध्यक्ष त्रिभुवन मौर्य ने किया। यहां अनवरत 60 वर्षों से रामलीला का मंचन होता चला आ रहा है। इस बार कोरोना को देखते हुए दर्शकों की सुरक्षा के लिए विशेष प्रबंध के साथ मंचन किया जा रहा है। पदाधिकारी मनोज, बृज बिहारी यादव, रामगुटुन मौर्य, रमाकांत, राजेश कुमार, राजेश यादव, राम सरोज, सुनील कुमार सैनी, रुबई यादव आदि मौजूद रहे।