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सावित्री बाई फुले ने खोला शिक्षा का द्वार

अंबेडकरनगर : देश की प्रथम शिक्षिका सावित्री बाई फुले के जन्म दिवस के अवसर पर बहुजन समाज

By JagranEdited By: Published: Thu, 03 Jan 2019 09:33 PM (IST)Updated: Thu, 03 Jan 2019 09:33 PM (IST)
सावित्री बाई फुले ने खोला शिक्षा का द्वार
सावित्री बाई फुले ने खोला शिक्षा का द्वार

अंबेडकरनगर : देश की प्रथम शिक्षिका सावित्री बाई फुले के जन्म दिवस के अवसर पर बहुजन समाज सेवा संगठन द्वारा कंबल वितरण समारोह का आयोजन बसपा के पूर्वांचल कार्यालय पर किया गया। अध्यक्षता सेवा संगठन के संयोजक डॉ. अखिलेंद्र प्रताप ¨सह ने किया। मुख्य अतिथि पूर्व सांसद त्रिभुवन दत्त ने सावित्री बाई फुले के संघर्षमय जीवन पर प्रकाश डाला। कहा कि सावित्रीबाई फुले कर्मठ समाजसेवी थीं, जिन्होंने बहुजन समाज के पिछड़े वर्ग खासतौर महिलाओं को जिनको पढ़ाना पाप समझा जाता था, उनके लिए शिक्षा का द्वार खोला। साथ ही उनके द्वारा कई कल्याणकारी कार्य भी किए गए।इस दौरान जरुरतमंदों के बीच कंबल का वितरण किया गया। संचालन जिलाध्यक्ष देवेंद्र भास्कर ने किया। इंजीनियर कृपाशंकर, इंजीनियर परमेश्वर राम, लाल बहादुर, सत्येंद्र आर्य, संतराज, आशीष आदि ने कार्यक्रम को संबोधित किया। अजय कुमार, मोतीलाल गौतम, अजय गौतम, सभईराम, अखिलेश कुमार गौतम, आशाराम आदि मौजूद रहे।

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सपाइयों ने भी मनाया जन्म दिन-जहांगीरगंज : विधानसभा क्षेत्र आलापुर में शिक्षा की क्रांति जलाने वाली प्रथम शिक्षिका सावित्रीबाई फुले का जन्मदिन समाजवादियों ने बड़े ही धूमधाम से मनाया। विधानसभा क्षेत्र अध्यक्ष अश्वनी यादव की अध्यक्षता में ब्लॉक प्रमुख प्रतिनिधि बलराम के नेतृत्व में आयोजित कार्यक्रम में उनके जीवन पर प्रकाश डाला गया। जिपंस प्रद्युम्न यादव बब्लू ने सावित्री बाई फुले के जीवन पर आधारित मेरा संघर्ष पुस्तक अनुसूचित जाति जनजाति प्रकोष्ठ के उपाध्यक्ष राजन कनौजिया को भेंट की। हेमंत यादव, राजन कनौजिया, मोहम्मद आसिफ सिद्दीकी, अब्दुल्लाह, अंकित यादव, अवधेश यादव, हरिराम, सुनील यादव, ¨प्रस श्रीवास्तव आदि उपस्थित रहे।

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पैदल मार्च कर नुक्कड़ सभा-

आलापुर : नौजवान भारत सभा और स्त्री मुक्ति लीग की ओर से प्रथम शिक्षिका सावित्रीबाई फुले के 188वें जन्म दिवस पर ¨सघलपट्टी, अराजी देवारा गांवों में पैदल मार्च निकालकर नुक्कड़ सभाएं की गईं। नौजवान भारत सभा के मित्रसेन ने कहा कि सावित्रीबाई फुले ने डेढ़ शताब्दी पहले जाति-प्रथा के विरोध में और स्त्रियों की शिक्षा के लिए लड़ाई लड़ी। इस दौरान अंतिमा, सलोनी, आरती, चांदनी, शिवांगी, कृष्णमोहन, आकाश, प्रेमचंद, हवलदार, किशन व अमन आदि मौ•ाूद रहे।


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