समाज को एक सूत्र में पिरोता है साहित्य : कोमल
अंबेडकरनगर : टांडा नगर के चौक में अदबी विचार मंच के तत्वाधान में सम्मान समारोह व काव्य गो
अंबेडकरनगर : टांडा नगर के चौक में अदबी विचार मंच के तत्वाधान में सम्मान समारोह व काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। साहित्यकारों व शायरों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम में समाजिक कार्य करने वाले दर्जन भर लोगों को अंगवस्त्र प्रदान कर सम्मानित किया गया। मुख्य अतिथि राष्ट्रपति व साहित्यभूषण पुरस्कार से सम्मानित साहित्यकार डॉ. कोमल शास्त्री ने कहा कि साहित्य समाज को एक सूत्र में पिरोने का काम करता है। उन्होंने साहित्यकारों को एक मंच पर आने पर जोर दिया। उन्होने पढ़ा-'बड़ा खुद्दार है सपने हसीन रखता है, दौलते प्यार पर बेहद यकीन रखता है, म•ाल क्या कि हिला दे कोई हवा उसको, वो अपने पाव के नीचे जमीन रखता है।
विशिष्ट अतिथि सर्जना पुरस्कार प्राप्त दुर्गा प्रसाद त्रिपाठी'निर्भिक'ने अपनी रचना से वर्तमान सामाजिक स्थिति पर व्यंग किया। उन्होंने पढ़ा-'संत के वेश में चल रहा आदमी, कैसे परिवेश में पल रहा आदमी, स्वर्ण की लंका'निर्भिक'जलना ही है, जब घृणित सोच में ढल रहा आदमी। अयोध्या से आए दुर्गेश श्रीवास्तव'निर्भिक'ने अपनी कविता के माध्यम से सभी को आत्मविभोर किया। पढ़ा कि-'इस जलियांवाला में तो बेकारी के बिच्छू डसते हैं, हाय-हाय दिन-रात तड़पते न जीते न मरते हैं। युवा शायर मोहम्मद अमजद ने पढ़ा-'मिटाना चाहते थे, जो लोग मुझे, जानकर मेरे बारे में मेरे दोस्त बन गए। युवा शायर मुनीर अहमद ने पढ़ा कि-'आज उस का गुरुर मसलकर देखते हैं, चलो उस से आगे निकलकर देखते हैं। कवि संजय'सवेरा'ने अपनी मुक्तक से सभी श्रोताओं की तालियां बंटोरी। पढ़ा कि†ा'सच कारनामों का छुपता नहीं है, कौन है जो वक्त के सामने झुकता नहीं है, रोशन जमाने का यही दस्तूर है सवेरा, कोई किसी के लिए रुकता नहीं है। अख्तर आलम ने पढ़ा-'यह रेत है कि मेरी उम्र है यह क्या शय है, सरक रही है मेरे हाथों से जो सुब्होशाम। युवा कवि अमन'चांदपुरी'ने पढ़ा-'अमन'तुम्हारी चिट्ठियां, मैं रख सकूं संभाल, इसीलिए संदूक से, गहने दिए निकाल। तारिक मंजूर ने अपनी पंक्तियों से वर्तमान स्थिति पर प्रहार किया। पढ़ा कि-'कैसे जनतंत्र को सुख चैन की स्याही से लिखे, आइए हम इसे बचपन की तबाही से लिखें, नाचती भूख ये पूछे हैं वतन वालों से, क्यों न इस दौर को रोटी की गवाही से लिखे। इससे पूर्व युवा कवि अमन'चांदपुरी'ने मां सरस्वती की वंदना प्रस्तुत कर कार्यक्रम की शुरुआत की।
मुख्य अतिथि समेत मौजूद सभी अतिथियों ने संयुक्त रुप से अरशद जमाल की काव्य संग्रह'अक्से-¨जदगी'का समारोह पूर्वक विमोचन किया। कार्यक्रम में मौजूद अतिथियों में पंख संस्था के अध्यक्ष अंशु बग्गा, प्रभाकर वर्मा,राजन सुमन, युवा सामाजिक ¨चतक प्रवीण गुप्ता, वरिष्ठ अधिवक्ता अजय प्रताप श्रीवास्तव सहित एक दर्जन लोगों को समाजिक कार्यों के लिए अंगवस्त्र प्रदान कर सम्मानित किया गया। काव्य गोष्ठी का संयोजंन मंच के अध्यक्ष ईश्वर दयाल जायसवाल, अध्यक्षता टीएनपीजी कॉलेज के पूर्व प्राचार्य मेजर डॉ. बलराम त्रिपाठी व संचालन अधिवक्ता अजय प्रताप श्रीवास्तव व तारकेश्वर मिश्र'जिज्ञासु'ने संयुक्त रुप से किया। मंच के अध्यक्ष ईश्वर दयाल जायसवाल, सरदार त्रिलोक ¨सह, किशोरी लाल गुप्त, आनंद अग्रवाल, प्रदीप सैनी, सत्यप्रकाश आर्य आदि मौजूद रहे।