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यज्ञ सनातन धर्म की अद्भुत परंपरा

अंबेडकरनगर : टांडा नगर के उदासीन आश्रम हनुमान मंदिर में चल रहे सप्त दिवसीय शतचंडी महा

By JagranEdited By: Published: Mon, 17 Dec 2018 10:13 PM (IST)Updated: Mon, 17 Dec 2018 10:13 PM (IST)
यज्ञ सनातन धर्म की अद्भुत परंपरा
यज्ञ सनातन धर्म की अद्भुत परंपरा

अंबेडकरनगर : टांडा नगर के उदासीन आश्रम हनुमान मंदिर में चल रहे सप्त दिवसीय शतचंडी महायज्ञ का विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों के बीच यज्ञ पूर्णाहुति व कलश विसर्जन तथा भंडारे के साथ समापन हुआ।

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मुख्य अतिथि रानो पाली उदासीन संगत अखाड़ा अयोध्या के महंत डॉ. भरत दास ने कहा कि यज्ञ हमारे सनातन धर्म की अनोखी व अदभुत परंपरा रही है। यज्ञ करने से मानव मस्तिष्क की शुद्धि होती है। उन्होंने कहा कि हमारे यहां यज्ञ का कर्म बनाया गया है, जो सिद्धांतों पर निर्भर है। तन की शुद्धि, समाज की मानसिकता व समाज में व्याप्त कुरीतियां यज्ञ के माध्यम से शुद्ध हो सकती हैं। अध्यक्षता कर रहे उदासीन आश्रम हनुमान मंदिर के महंत दीनदयाल दास ने कहा कि माताएं अपने ज्ञान द्वारा नए समाज की रचना करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान कर सकती हैं। शतचंडी महायज्ञ का वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच पूर्णाहुति कर संपन्न किया गया। ढोल नगाड़ों के धुन के बीच कलश यात्रा निकालकर उसे हनुमान गढ़ी घाट पर सरयू की धारा में विसर्जित किया गया। इसके उपरांत भंडारे का आयोजन किया गया। इससे पूर्व आश्रम परिसर में स्थित संत समागम हाल में आए अतिथियों का महंत दीन दयाल दास ने स्वागत किया। डॉ. रजनीश ¨सह, अजय ¨सह उर्फ कप्तान, कमलापति त्रिपाठी, सुनीत कुमार द्विवेदी, पुजारी माधव दास, देवी प्रसाद अग्रहरि, रामजीत विश्वकर्मा आदि मौजूद रहे।


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