मुफलिसी में जीने वाले आज परोस रहे नाश्ता
अंबेडकरनगर :मुफलिसी में जीवन यापन करने वाले आज औरों को नाश्ता परोस रहे हैं। अकबरपुर
अंबेडकरनगर :मुफलिसी में जीवन यापन करने वाले आज औरों को नाश्ता परोस रहे हैं। अकबरपुर विकास खंड ग्राम पंचायत सोनगांव और सिबलीपुर गांव की पूनम और किरन के हौसलों में स्वरोजगार की उड़ान देखकर आखिरकार गरीबी नतमस्तक हो गई। महज दस रुपये की छोटी से बचत में इन्होंने सुनहरा भविष्य खोज लिया है। राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन से मिले साथ से यह महिलाएं स्वरोजगारी बनने के साथ ही औरों के लिए रोजगार का साधन बनीं।
अकबरपुर विकासखंड की ग्राम पंचायत सोनगांव में गरीबी के दलदल में दबा श्यामलाल का परिवार भुखमरी के दौर में था। श्यामलाल गांव के संपन्न लोगों के ट्रैक्टर पर ड्राइवर की नौकरी कर परिवार के लिए मुश्किल से दोनों समय के भोजन ही जुटा पाता था। ऐसे में एनआरएलएम के गांव में कदम रखा और शंकर महिला स्वयं सहायता समूह का गठन हुआ। श्यामलाल की पत्नी पूनम देवी ने समूह में शामिल होकर दस रुपये की साप्ताहिक बचत शुरू कर दी। पूनम बताती हैं कि कुछ समय बाद समूह से 15 हजार रुपये का कर्ज लेकर गांव में किराना की दुकान खोल ली। दुकान चली और समूह का कर्ज वापस ही कर पायी थी कि गांव में भड़की ¨हसा में उपद्रवियों ने उसकी दुकान को नष्ट कर दिया। हालांकि पूनम ने हार नहीं मानी और अधिकारियों ने भी उसका साथ दिया। समूह से 30 हजार रुपये का कर्ज लेकर उसने विकास भवन परिसर में जलपान की दुकान खोल दी। पूनम बताती हैं कि इससे रोजाना करीब दो सौ रुपये की बचत हो जाती है। डीडीओ मथुरा प्रसाद मिश्र बताते हैं कि फिलहाल महिला को 11 माह तक यहां निशुल्क दुकान चलाने का मौका दिया गया है।
विकासखंड अकबरपुर की ग्राम पंचायत सिबलीपुर में सियाराम वर्मा के परिवार में विघटन होते ही उनपर गरीबी का पहाड़ टूट पड़ा। बच्चों की पढ़ाई व पालन-पोषण की ¨चता सियाराम और उनकी पत्नी किरन को खाए जा रही थी। मायके के सहयोग से दिन कट रहा था कि किरन ने एनआरएलएम के तहत गठित पार्वती स्वयं सहायता समूह का दामन थाम लिया। 25 रुपये की साप्ताहिक बचत का योगदान करने के बाद कर्ज लेकर पहले गांव में चाय नाश्ते की दुकान खोली। यहां से कर्ज चुकाने के साथ ही वापस 15 हजार रुपये का कर्ज लिया और अधिकारियों से मदद मांगी। इसपर सीडीओ की पहल पर डीएम ने कलेक्ट्रेट परिसर में किरन को जलपान की दुकान खोलने तथा कुछ दिनों तक किराया नहीं दिए जाने की अनुमति प्रदान कर दी। आज किरन अपनी दुकान पर भीड़ के बीच गरीबी के दर्द को भूल चुकी है। पति को स्वरोजगार दिलाने के साथ ही बगल गांव महाराजगंज के ¨पटू, विवेक और बजरंगी को भी दुकान पर रोजगार दिया है। किरन बताती हैं कि रोजाना का खर्च निकालने के बाद प्रतिदिन तीन से चार सौ रुपये की बचत हो रही है।