बढ़ रहा ई-रिक्शा की बैटरियों का कचरा, निस्तारण के नहीं इंतजाम
सात साल में ई-रिक्शा से निकल चुकीं तकरीबन एक लाख खराब बैटरी तेजाब का दोबारा नहीं होता इस्तेमाल भूमि और नाली में इसे फेंकते।
संसू, अंबेडकरनगर: इलेक्ट्रानिक वाहनों से निकलने वाली बैटरियों के निस्तारण का पुख्ता इंतजाम न होने से इसका असर पर्यावरण पर पड़ रहा है। पिछले सात साल में ई-रिक्शों से एक लाख खराब बैटरियां निकल चुकी हैं। अधिकांश ई-रिक्शा में घटिया बैट्री लगकर आती हैं। ये जल-थल दोनों दूषित कर रही हैं। इनकी निगरानी करने एवं लगाम लगाने वाला प्रदूषण नियंत्रण विभाग भी अभी जिले में स्थापित नहीं है। तकरीबन सात साल पहले चलने शुरू हुए ई-रिक्शे अब गांव-गलियों तक नजर आने लगे हैं। परिवहन विभाग के आंकड़ों में इनकी संख्या 2480 है।
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बैट्री की आयु: एक ई-रिक्शा में 12-12 वोल्ट की चार बैट्रियां लगती हैं। सामान्य बैट्री की आयु औसतन छह माह मानी जाती है। इसके बाद इसका प्रयोग करने पर चार्जिंग तेजी से उतरती रहती है। आंकड़े देखे जाएं तो 2480 ई-रिक्शों में 9920 बैट्रियां लगी हैं। इनके छह माह की आयु पूरी होने पर सात साल में 14 छमाही के दौरान करीब एक लाख बैट्रियां खराब होकर निकल चुकी हैं।
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वायु प्रदूषण रोकने की मंशा ने दिया जन्म: पेट्रोलियम पदार्थों से चलने वाले वाहनों से निकलते धुएं से वायु प्रदूषण को कम करने की मंशा ने इलेक्ट्रानिक वाहनों को जन्म दिया। इससे वायु प्रदूषण तो कम हुआ, लेकिन जल और स्थल दूषित होने लगा है। बीते कुछ सालों में ई-रिक्शा का प्रचलन तेजी से बढ़ा है। कीमत काफी कम होने से ये रोजगार का अच्छा साधन बने, लेकिन अब धीरे-धीरे ये मुसीबत बनने लगे हैं।
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गाइडलाइन तय नहीं होने से बढ़ी दिक्कत: पुरानी बैट्री दोबारा प्रयोग लायक बनाने के लिए इसमें लगी प्लेट को तेज आंच में गलाया जाता है। इसमें नई प्लेट लगाने के साथ पहले से भरे तेजाब को गिरा दिया जाता है। बैट्री का यह पानी भूमि को बंजर बना रहा है। नालियों के रास्ते नदियों में पहुंच कर यह रसायन स्वच्छ जल में जहर घोल रहा है। तेज आंच पर पकाने में बैट्रियों से निकलता रसायन और धातु का कण प्रदूषण फैला रहा है। बैट्रियों के निस्तारण के संबंध में अभी तक स्पष्ट गाइडलाइन न होने से इसका कारोबार करने वाले मनमानी कर रहे हैं।
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निगरानी की नहीं व्यवस्था: जनपद गठन को तीन दशक बीत चुके हैं, लेकिन अभी तक जिले में प्रदूषण नियंत्रण विभाग ही नहीं स्थापित हो सका है। मंडल मुख्यालय अयोध्या के अधिकारी यहां साल-छह महीने में भी नहीं दिखाई पड़ते। ऐसे में प्रदूषण से निपटने का ठोस इंतजाम नहीं किया गया है।
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बैट्री आदि से निकलने वाले रासायनिक कचरे के सुरक्षित निस्तारण को संबंधित विभाग को निर्देशित किया जाएगा। इसके लिए निकायों को सचेत कर निगरानी में लगाया जाएगा। असुरक्षित निस्तारण करने वालों पर नियमानुसार कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
अशोक कुमार कनौजिया, एडीएम