एक घंटे में ही परीक्षा निपटाकर बंद कर दिया स्कूल
शुकुलबाजार (अंबेडकरनगर) : परिषदीय विद्यालयों में अर्द्धवार्षिक परीक्षा के दौरान जिम्मेदार गुरु
शुकुलबाजार (अंबेडकरनगर) : परिषदीय विद्यालयों में अर्द्धवार्षिक परीक्षा के दौरान जिम्मेदार गुरुजनों द्वारा परीक्षा की महज औपचारिकता पूरी की जा रही है। परीक्षा के लिए दो पालियों में निर्धारित दो घंटे के भीतर हल किए जाने वाले प्रश्न पत्र को घंटे भर के अंदर ही जैसे-तैसे निपटा कर महज कोरम पूरा किया जा रहा है। सोमवार को रामनगर शिक्षा क्षेत्र के कुछ प्राथमिक विद्यालयों पर संचालित परीक्षाओं का जायजा लिया गया तो स्थितियां भयावह नजर आई।प्राथमिक विद्यालय माडरमऊ में संस्कृत एवं अंग्रेजी के परीक्षा को समय से पहले एक घंटे में ही जैसे-तैसे निपटाकर बच्चों को रुखसत कर दिया। सहायक अध्यापिका प्रियंका मौर्या ने बताया कि परीक्षा के कारण बच्चे जल्दी से अपना पेपर हल करके चले गए। जब उनसे पूछा गया कि बच्चों को समय से पहले ही क्यों छोड़ दिया गया तो इस पर उन्होंने चुप्पी साध लिया। प्रधानाध्यापिका बहौना देवी मौके पर अनुपस्थित रहीं। मौजूद गुरुजनों को स्कूल में पंजीकृत छात्र संख्या की सही जानकारी नहीं थी। यही स्थिति उच्च प्राथमिक विद्यालय माडरमऊ की भी थी। सोमवार को गृहशिल्प तथा कृषि विज्ञान की परीक्षा समाप्ति के बाद शिक्षकों ने सभी बच्चों को समय से पहले ही घर भेज दिया गया था। उपस्थित शिक्षकों ने बताया कि त्योहार के कारण बच्चे परीक्षा देकर जल्दी घर चले गए हैं। प्राथमिक विद्यालय गोपालपुर में शिक्षकों का कार्य संतोष जनक पाया गया। यहां पंजीकृत कुल 64 बच्चों में 60 बच्चे मौजूद रहे तथा जिन्हें परीक्षा समाप्ति के बाद भी शिक्षकों द्वारा अलग-अलग कमरे में पढ़ाया जा रहा था। खंड शिक्षाधिकारी रामनगर श्रवण कुमार यादव ने कहा कि आपने जो देखा है उसे अखबार में छाप दीजिए, हम आपकी खबर का संज्ञान लेकर संबंधित प्रधानाध्यापकों से स्पष्टीकरण मांगेंगे।
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समूह में परीक्षा देते दिखे छात्र-
मालीपुर : सोमवार को प्राथमिक विद्यालय करमिसिरपुर में 11 बजे परीक्षा के हकीकत की पड़ताल की गई। कक्षा तीन के छात्र व छात्राएं पांच-पांच के दो समूहों में किताब खोलकर परीक्षा देते हुए पाए गए। कक्षा चार के 11 और कक्षा पांच के कुल पांच बच्चे अन्य कमरे में परीक्षा देते हुए मिले। कक्षा तीन में 22, कक्षा चार में 20 और कक्षा पांच में 15 बच्चे पंजीकृत है जबकि पंजीकृत छात्र और छात्राओं के सापेक्ष महज 50 फीसद बच्चे ही परीक्षा देने विद्यालय पहुंचे। प्रधानाध्यापिका सुनीता वर्मा जहां अपने बच्चे के देखभाल में व्यस्त रहीं, वही शिक्षिका गीता, सीमा ¨सह और शिक्षामित्र प्रियंका यादव अपने-अपने कमरे में बच्चों को परीक्षा दिलवाती हुई मिली। नकल विहीन परीक्षा का दावा यहां बेईमानी है। खंड शिक्षाधिकारी जलालपुर का मोबाइल स्विच ऑफ रहा।