योजनाएं लागू हों तो आमजन तक पहुंचाने की हो व्यवस्था
श्वद्यद्गष्ह्लद्बश्रठ्ठ 2019 श्वद्यद्गष्ह्लद्बश्रठ्ठ 2019 श्वद्यद्गष्ह्लद्बश्रठ्ठ 2019 श्वद्यद्गष्ह्लद्बश्रठ्ठ 2019 श्वद्यद्गष्ह्लद्बश्रठ्ठ 2019 श्वद्यद्गष्ह्लद्बश्रठ्ठ 2019 श्वद्यद्गष्ह्लद्बश्रठ्ठ 2019 श्वद्यद्गष्ह्लद्बश्रठ्ठ 2019 श्वद्यद्गष्ह्लद्बश्रठ्ठ 2019 श्वद्यद्गष्ह्लद्बश्रठ्ठ 2019 श्वद्यद्गष्ह्लद्बश्रठ्ठ 2019 श्वद्यद्गष्ह्लद्बश्रठ्ठ 2019
अंबेडकरनगर : लोकसभा चुनाव की चर्चाएं घर की दहली•ा से लेकर चाय की दुकानों पर सुबह से ही शुरू हो जाती हैं। बात होती गई विकास, रोजगार की। चुनावी चर्चाओं में चुनावी वादों को आम मतदाता दरकिनार कर दे रही है। कोई नोटबंदी को गलत ठहराता है तो कोई देशद्रोह जैसे कानून को खत्म करने की बात को देश विरोधी कानून होने की तर्क पेश कर रहा है। सिर्फ विकास करने वाले को वोट देने की बात की जंग छिड़ी है। केदारनगर बाजार के पश्चिम बेलासपुर बदरूद्दीनपुर तिराहे पर रामअजोर की चायपान की दुकान है। यहां कई लोग चाय की चुस्की के साथ चुनावी चर्चा में मशगूल थे। यहां बैठे श्रीनिवास यादव ने कहा कि चुनावी वादे सिर्फ वादे ही रह जा रहे हैं। हकीकत में चुनाव के बाद जनता को समझ में आता है। मेरा तो मानना है कि लोगों को वादों के विवादों में नही फंसना है। लुभावने वादों से हमें सावधान रहने की जरूरत है और बहुत ही सोच विचार कर मतदान करने की जरूरत है।
इनकी बात को काटते हुए निमामतुल्लाह कहते हैं सरकारें वादा कम करें बल्कि देश हित में व किसानों की भलाई की सोचें। खूब विकास का ढिढोरा पीटा जा रहा है, लेकिन सबसे बड़ी आबादी किसानों की है वही उपेक्षित हैं। इनकी बात का समर्थन करते हुए अरशद ने कहा कि किसान सम्मान योजना के तहत जिन किसानों के खाते में पैसे आने हैं वे बैंक के चक्कर काट रहे हैं। बैलेंस जानने के चक्कर में पैसे भी कट चुके हैं। इसे भी तो जनता को समझने की जरूरत है। इतना सुनते ही वहां बैठे रामअजोर का गुस्सा फूट पड़ा। उनका कहना था कि बिल्कुल सही आप कह रहे हैं रहे हैं। हम दो हजार पाने के चक्कर में बैलेंस जानते-जानते कब अस्सी रुपये कट गए यह पता ही नहीं चला। जब पासबुक लेकर बैंक गए तो पता लगा कि दो हजार तो आए नहीं उल्टे 80 रुपये और कट गए। तो क्या सिर्फ कहने से काम होगा क्या? सतीश चंद्र श्रीवास्तव कहते हैं तमाम किसानों के खाते में पैसे आए हैं। इस पर मोहम्मद आशिम सिद्दीकी ने कहा कि सरकार के वादों से काम नहीं होता है। काम करने से काम होगा सरकार सिर्फ वादा करके चली जाती है। हकीकत में किसान ही अंतत: मूर्ख बन जाते हैं। किसानों का अनाज सस्ते रेट पर बिक रहा है, जबकि यूरिया, डीएपी एवं अन्य बाजारों सामान भी महंगे होते चले जा रहे हैं। इस पर सरकार को ध्यान देना चाहिए।
चाय की चुस्की लेते हुए हयात मोहम्मद ने कहा कि जो सरकार मिलते हुए पेंशन को भी बंद करा दे, ऐसी सरकार हमें नहीं चाहिए। इनका समर्थन करते हुए मोहम्मद अदीब एवं अजीमुल्लाह ने कहा कि किसानों के हित की बात जो करे वही सरकार चाहिए। क्योंकि हमारे देश में ज्यादा किसान हैं। श्यामलाल ने कहा कि पैसे वालों के लिए ज्यादा सरकार सोचती हैं। गरीब किसानों के लिए कोई कानून नहीं बनाती है। रजीउद्दीन सिद्दीकी कहते हैं कि जिस सरकार में हमारे ही पैसे हमें ही नहीं मिल पा रहे हैं तो ऐसी सरकार का कोई मतलब नहीं है। चुनावी चर्चा समाप्त होने वाली थी कि राम मिलन आ धमके और कहा कि भाई किसान सम्मान मिल रहा है देश विकास कर रहा है। ऐसी ही सरकार तो चाहिए। हालांकि पूरे चुनावी चर्चे में देशद्रोह का कानून समाप्त करने के मामले में सभी ने कुछ न कुछ ऐतराज जताया। कहा कि जो देश विरोधी काम काम करे उसे सजा जरूर मिलनी चाहिए, लेकिन कोई निर्दोष अकारण सजा भी न पाए।