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बसखारी के लिए अभिशाप बना जाम

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By JagranEdited By: Published: Sat, 20 Apr 2019 11:21 PM (IST)Updated: Sat, 20 Apr 2019 11:21 PM (IST)
बसखारी के लिए अभिशाप बना जाम
बसखारी के लिए अभिशाप बना जाम

ख्याति प्राप्त किछौछा दरगाह शरीफ की सबसे नजदीकी बाजार बसखारी पूर्वांचल के कई जिलों को जोड़ने वाली है। जाहिर है कि इस बाजार से विभिन्न क्षेत्रों को जाने वाली सड़कें हैं तो लोगों का आवागमन भी अधिक होगा। हालांकि राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण होने से कुछ राहत जरूर मिली है, लेकिन जिम्मेदारों की उदासीनता से आज भी यह बाजार आए दिन लगने वाले जाम से घंटों कराहती है। हर चुनाव में यहां के वाशिदों को इस बात की उम्मीद रहती है कि कोई न कोई रहनुमा जरूर आएगा जो यहां की मुख्य समस्या जाम से निजात दिलाएगा, लेकिन ऐसा होता नहीं है। इस बार भी चुनावी महासमर में योद्धा पूरी मजबूती से उतर रहे हैं। उनके दावे विकास तक ही नहीं सीमित हैं, बल्कि उन बाजार व कस्बों का कायाकल्प करने का भी है जो दशकों से उपेक्षित पड़े हैं और जाम जैसी समस्या का दंश आज भी झेलने को विवश हैं। प्रस्तुत है अंबेडकरनगर से रामशकल यादव व किछौछा से सत्येंद्र यादव की रिपोर्ट- ------------------------------

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फिर वादों के चौराहे पर खड़ी दिख रही जनता

राजनीतिक विसात में वादों की झड़ी के साथ चुनावी महासमर को जनता के वोट रूपी हथियार से जीतकर नेता जहां उच्च सदन में पहुंच जाते हैं वहीं आम लोगों की जनसमस्याएं मुंह बाए खड़ी वादों के पूरा होने का इंतजार करती हैं। देखते ही देखते पांच वर्ष बीत जाने के बाद पुन: वही समस्याएं, वही वादे जनता को दूसरे प्रकार से नेताओं द्वारा पूरा करने का दिवास्वप्न दिखाया जाता है। भोली जनता नेताओं के इन वादों को सच मान अपना कीमती मत देकर अपनी समस्या के निदान का सपना संजो बैठती है। कुछ ऐसी ही कहानी बसखारी में जाम की है जो चुनाव में कभी मुद्दा नहीं बन पाया। दिनप्रतिदिन नासूर बन चुकी यह समस्या के निवासियों के साथ देश के कोने-कोने से आने वाले जायरीन के लिए अभिशाप साबित हो रही है। बसखारी में जाम से निजात दिलाने के लिए कई बार शासन स्तर पर कुछ अधिकारियों द्वारा सार्थक प्रयास भी किया गया तो इसके परिणाम भी सार्थक दिखे। टांडा एसडीएम रहे कुमार प्रशांत और थानाध्यक्ष मनोज कुमार पंत, बृजनंदन सिंह, महेंद्र प्रताप सिंह ने बसखारी में थानाध्यक्ष रहते प्रयास होने से कुछ हद तक राहत थी, लेकिन उनके जाते ही व्यवस्था फिर से बेपटरी हो गई। इस बार फिर वादों के चौराहे पर आमजनता खड़ी होकर इस इंतजार में है कि इस बार जाम से जरूर निजात मिल जाएगा। फल की सबसे सस्ती मंडी

बसखारी बातार यूं तो व्यवसायिक दृष्टिकोण से भी सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। कारण है कि यहां से विश्व प्रसिद्ध सूफी संत सैय्यद मखदूम अशरफ किछौछा दरगाह पर जाने के लिए जायरीन आते हैं और बसखारी से ही पूर्वांचल के जिले आजमगढ़, बलिया, मऊ, बनारस, गोरखपुर, बस्ती, संतकबीरनगर, गाजीपुर के साथ अन्य जिलों को जोड़ते हुए दूसरे प्रदेशों को जाने के लिए बसों का संचालन होता है। इसके चलते यहां के बाजार वासियों को रोजगार का अच्छा अवसर मिलता है। यहां की फल मंडी भी अपनी अलग पहचान रखती है। माना जाता है कि यहां फल पूरे जिले में सबसे सस्ता और अच्छा मिलता है, लेकिन जाम की समस्या के चलते इस व्यवसाय पर भी असर पड़ रहा है।

बने बाइपास और बड़े वाहनों का प्रवेश हो वर्जित

बसखारी की जाम की समस्या से निजात दिलाने में जनप्रतिनिधियों के रुचि न लेने के चलते जहां यहां के निवासियों में रोष है। स्थानीय निवासी विनोद कुमार मौर्य कहते हैं कि जनप्रतिनिधि अपने किए गए वादे को पूरा करते तो यहां पर जाम की समस्या से लोगों को निजात मिल जाता। डॉ. मेराज अंसारी बताते हैं कि बसखारी में जाम की समस्या का मुख्य कारण पटरियों के किनारे अतिक्रमण है। इसके लिए प्रशासनिक उदासीनता उत्तरदायी है। प्रशासन चाह ले तो समस्या का त्वरित निदान हो जाएगा। दिनेश कुमार विश्वकर्मा का कहना है कि यदि बाजार से होकर जाने वाले बड़े वाहनों को हाईवे पर लिक मार्ग से जोड़ कर भेजा जाए तो इस समस्या से निजात मिल सकती है, लेकिन सवाल यह है कि इसे मूर्त रूप देने का कार्य कौन करे। राम बदल कहते हैं कि स्थानीय प्रतिनिधियों द्वारा चुनाव के दौरान बसखारी में टैक्सी स्टैंड निर्माण की बात की जाती है, लेकिन चुनाव समाप्त होते ही लोग अपने वादे भूल जाते हैं। सड़क पर टैक्सी स्टैंड व वाहनों का जमावड़ा भी जाम का बड़ा कारण है। मोहम्मद आरिफ का कहना है कि यदि नेताओं द्वारा किए गए वादों के अनुसार बाइपास का निर्माण हो जाए और बड़े वाहनों को बाजार में आने से रोक दिया जाए तो समस्या से निजात मिल सकती है। अनंत लाल बताते हैं कि यदि चुनावी वादों के अनुसार चुनाव समाप्त होने के बाद कार्य कराए जाएं तो बसखारी की स्थिति बदल सकती है, लेकिन जनप्रतिनिधि हमेशा अपने वादों की घुट्टी यहां के निवासियों को पिलाते रहते हैं। आमजन इसी उम्मीद में मतदान करते हैं कि इस बार उनकी समस्या का समाधान जरूर होगा। इस बार भी वही होने वाला है, लेकिन वोट मांगने वालों से इसका जवाब तो मांगा ही जाएगा।


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