मांग बढ़ाने के लिए ढांचागत निवेश जरूरी
कोरोना काल में ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है जो इसके दुष्प्रभाव से अछूता रहा हो।
अंबेडकरनगर: कोरोना काल में ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है, जो इसके दुष्प्रभाव से अछूता रहा हो। छोटे-मोटे व्यापार करने वाले अब तक उबर नहीं पाए, वहीं निजी क्षेत्र में नौकरी की स्थिति चिताजनक है। बीएनकेबी डिग्री कॉलेज में अर्थशास्त्र के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सिद्धार्थ पांडेय कहते हैं कि ऐसे में सरकार को ग्रामीण क्षेत्र में आर्थिक तेजी लाने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश करने की सख्त जरूरत है।
एक फरवरी को आम बजट आने वाला है। सभी को सरकार से काफी उम्मीदें हैं लेकिन जानकारों का कहना है कि सरकार बहुत कुछ कर पाने की स्थिति में नहीं है। क्योंकि कोरोना काल में सरकार को पहले से काफी चपत लग चुकी है। वहीं लोगों की मुश्किलों को कम करने के लिए सरकार पहले ही काफी धन दे चुकी है। ऐसे में सरकार का खजाना खाली है। आगामी बजट में भी इसका प्रभाव देखने को मिलेगा। प्रोफेसर सिद्धार्थ पांडेय बताते हैं कि जीडीपी ग्रोथ निगेटिव है। सर्विस सेंटर, परिवहन, दूरसंचार, मेडिकल, इंफ्रास्ट्रक्चर आदि पर ध्यान देने की जरूरत है। सरकार के पास खर्च करने को बहुत कुछ नहीं है। बेरोजगारी से निपटना एक बड़ी चुनौती है। कोरोना के प्रभाव से अभी भी कई सेक्टरों में तेजी नहीं आ सकी है। फैक्ट्रियों समेत सभी क्षेत्रों में उत्पादन घटा है। परिणामस्वरूप गरीब तबका, मिडिल क्लास परेशान है। नौकरी करने वालों की डीए फ्रीज है। वे महंगाई के चलते परेशान हैं। सरकार को राहत पैकेज देने होंगे, तभी बजट संतुलित माना जाएगा।
डा. पांडेय कहते हैं कि सरकारी क्षेत्र में निवेश की जरूरत है। गांव के विकास के लिए सड़कों का निर्माण, पेयजल, कृषि क्षेत्र, उद्योग धंधे आदि पर ध्यान देने की जरूरत है। मनरेगा योजना में बजट की वृद्धि करनी चाहिए। इससे मजदूरों को रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे। एक बड़े तबके की क्रय शक्ति बढ़ेगी तो मांग में तेजी आएगी। इंफ्रास्ट्रक्चर में संतुलित निवेश करना चाहिए। ऐसा न होने की दशा में विकास बाधित होना निश्चित है। लोगों के हाथ में पैसा नहीं होने पर बाजार में तेजी नहीं आ पा रही है। टैक्स स्लैब में कोई खास राहत मिलने की उम्मीद नहीं है। हालांकि बजट में करदाताओं को छूट देनी चाहिए। इससे मिडिल क्लास के हाथ में पैसा आएगा। मिडिल क्लास ही डिमांड को बढ़ाता है। इससे बाजार की मंदी तोड़ने में मदद मिलेगी। वे कहते हैं कि ऑटोमोबाइल्स, इलेक्ट्रॉनिक्स, प्रापर्टी आदि की बाजार में उछाल नहीं आ सकी है। इस पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। ऐसे में मिडिल क्लास पर भार नहीं डालना चाहिए। किसान, श्रमिक आदि गांव में ही निवास करते हैं। उनके लिए रोजगार के अवसर बढ़ाने चाहिए, ताकि कृषि कार्यों का लक्ष्य बढ़े और आर्थिक वृद्धि की दर बढ़ाने में आसानी हो।