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Ambedkarnagar News: टांडा में पांच दशक से सजता है रामलीला का मंच, गांवों के कलाकार करते हैं अभिनय

टांडा में पांच दशक से सजता रामलीला का मंच टांडा नगरपालिका के कस्बा मुहल्ले में श्रीराम-कृष्णलीला समिति के तत्वावधान में रामलीला का मंचन 1973 में स्वर्गीय पंडित बिहारी लाल तिवारी रामकुमार उपाध्याय ओमकार नाथ मल्होत्रा के प्रयास से शुरू हुआ था।

By omkar vermaEdited By: Published: Sun, 25 Sep 2022 11:04 PM (IST)Updated: Mon, 26 Sep 2022 01:47 AM (IST)
Ambedkarnagar News: टांडा में पांच दशक से सजता है रामलीला का मंच, गांवों के कलाकार करते हैं अभिनय
जगह-जगह शोभायात्रा पर पुष्प वर्षा कर श्रद्धालु स्वागत करते हैं।

अंबेडकरनगर, जागरण संवाददाता। टांडा में पांच दशक से सजता रामलीला का मंच टांडा नगरपालिका के कस्बा मुहल्ले में श्रीराम-कृष्णलीला समिति के तत्वावधान में रामलीला का मंचन 1973 में स्वर्गीय पंडित बिहारी लाल तिवारी, रामकुमार उपाध्याय, ओमकार नाथ मल्होत्रा के प्रयास से शुरू हुआ था। इसका मंचन आज भी पंडित बृजेंद्र तिवारी के संरक्षण में हर वर्ष हो रहा है। 10 दिनों तक चलने वाले रामलीला मंचन में नगर के विभिन्न मोहल्लों समेत आसपास गांवों के कलाकार अभिनय करते हैं। 

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मंचन में जनकपुर बाजार, सीता स्वयंवर, राम-केवट संवाद का मंचन दर्शकों के लिए आकर्षण केंद्र बिंदु बनता है। दशहरे के दिन काश्मिरियां में रेलवे स्टेशन के पास आदमकद रावण के पुतले का दहन किया जाता है। मेले में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। श्रीराम के राज्यभिषेक तक अनवरत निकलने वाली शोभायात्रा में लोग शामिल होते हैं। जगह-जगह शोभायात्रा पर पुष्प वर्षा कर श्रद्धालु स्वागत करते हैं।

आकर्षण

रामलीला मंचन के प्रथम दिन भगवान शिव व पार्वती, चतुर्थ दिवस में सीता स्वयंवर व छठवें दिवस में राम-केवट संवाद के अलावा अंगद-रावण संवाद का मंचन तथा दशहरे के दिन आदमकद रावण के प्रारूप का दहन किए जाने के उपरांत वृहद स्तर पर निकलने वाली शोभायात्रा लोगों के आकर्षण का केंद्र रहता है। इसको देखने के लिए बड़ी संख्या में लोगों का तांता लगा रहता है।

मेरा किरदार देख दंग रह जाते थे लोग

रामलीला मंचन में भगवान शिव व वीर हनुमान समेत विभिन्न किरदारों को बखूबी निभाने वाले नेहरुनगर मोहल्ले के राम उजागिर मौर्य बताते हैं कि जब वह मंच पर अभिनय करने उतरते थे तो लोग उनका रोल देख दंग रह जाते हैं। बताते है कि सफल अभिनय के लिए लोग प्रसंशा करते नहीं थकते। तालियों की गड़गड़ाहट से पूरा मैदान गूंज उठता है।

यादों के झरोखे से

कलाकार रामकुमार मौर्य ने बताया कि रामलीला के शुरुआत में संसाधन की काफी कमी थी। मंच बनाकर लोगों के सहयोग से मंचन कार्य प्रारंभ हुआ। धीरे-धीरे लोगों के सहयोग से मंचन के लिए आवश्यक सामान जुटाए गए। रामलीला के प्रति लोगों की आस्था व लगाव ही था कि उस समय भी दर्शकों की बड़े पैमाने पर भीड़ उमड़ती थी। आज भी लोग मंचन देखने जुटते है। लेकिन जो उमंग व उत्साह लोगों में पहले दिखाई पड़ता था उसमें काफी हद तक कमी आई है। हालांकि कलाकार काफी मेहनत कर मंचन कार्य को सफलता पूर्वक संचालन करने में लगे रहते है।

कलाकार विजय कुमार मौर्य ने बताया कि रामलीला के मंचन के प्रति लोगों की आस्था साफतौर पर दिखाई पड़ती है। हर वर्ष नए कलाकार अभिनय के लिए समिति से जुड़ कर मंचन को सफलता पूर्वक संपन्न कराने में अपना सहयोग देते है। लोगों के जुड़ाव से मंचन में आने वाला व्यवधान सभी मिलकर दूर करते है।

अध्यक्ष बृजेंद्र तिवारी ने बताया कि रामलीला मंचन को पहले लोग आस्था से जोड़ कर देखते थे। इसी वजह से हर कोई आर्थिक तौर पर मंचन को बेहतर बनाने के लिए सहयोग प्रदान करता था, लेकिन अब लोगों में बदलाव दिखाई पड़ता है। इसके चलते मंचन करने में आर्थिक रूप से दिक्कतें आती हैं।

निर्देशक रामसूरत मौर्य ने बताया कि रामलीला के मंचन का कार्य सभी कलाकार सामंजस्य बनाकर करते हैं। कोशिश रहती है कि भगवान श्रीराम के जीवन चरित्र को दर्शकों के सामने प्रस्तुत कर उन्हें सत्य व धर्म के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया जा सके। इससे लोग बुराइयों से दूर रहें और स्वच्छ समाज का निर्माण हो सके।


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