खटारा बसों के सहारे सुहाने सफर की कवायद
-खटारा बसों से यात्रा करने वाले यात्रियों को हमेशा रहता जान का खतरा -निर्धारित किलोमीटर चलने के बाद होती है नीलामी
अंबेडकरनगर : जिला मुख्यालय पर स्थित अकबरपुर बस डिपो में खटारा बसों की भरमार है। कई बस तो देखने में ही जर्जर काया वाली दिखती हैं। इसके बाद भी परिवहन विभाग इन्हीं खटारा बसों के जरिए सुहाने सफर की कवायद में जुटा रहता है। बस की हालत अंदर बाहर खराग है। यात्रियों को बैठने वाली सीट तक सलामत नहीं है। बरसात में बसों की छतों से पानी टपकता है। इसके बावजूद इन बसों से यात्रियों को ढोया जा रहा है। अकबरपुर रोडवेज के बेड़े में 62 बसें मौजूद हैं, लेकिन इसमें से दो दर्जन बसों का हाल बेहाल है। फिर भी यात्रियों को लेकर दौड़ रही हैं। डिपो में चलने वाली बसों की आयु व किमी पहले ही निर्धारित है। वर्तमान में दो दर्जन बसों की उम्र तो पूरी हो चुकी है पर आयु का निर्धारित मानक अभी पूरा नहीं हुआ है। ऐसे में इनको चलाना निगम की मजबूरी है। ऐसे में खटारा बसें रास्ते में कब धोखा दे जाएं, यह कहना मुश्किल है।
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रोडवेज की बसों का जीवन काल निर्धारित-
डिपो की लक्ष्मी कही जाने वाली बसों का जीवन काल निर्धारित है। नई बसों को पांच सौ व पुरानी को 300 किलोमीटर की यात्रा प्रतिदिन पूरी करनी होती है। इसके बाद जब 11 लाख किलोमीटर बसें चल जाती है तो विभाग इनको कंडम घोषित कर नीलाम करा देता है।
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डिपो पर यात्री सुविधाओं का भी टोटा : यहां यात्रियों के पीने के लिए पानी की व्यवस्था विभाग ने कराई थी। उसकी टोटियां टूट चुकी है। शौचालय के लिए बने यूरिनल पर गंदगी व्याप्त है। रात में पर्याप्त रोशनी के लिए लगाई गई स्ट्रीट लाइट खराब है। इससे अपने गंतव्य को जाने वाले यात्रियों को परेशानी उठानी पड़ रही है।
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डिपो में चलने वाली बसें ठीक-ठाक स्थिति में हैं, जो खराब होती हैं उनको वर्कशाप में मरम्मत के लिए भेजा जाता है।जर्जर बसों का संचालन नहीं होता है।
-कमाल अहमद, एआरएम