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बालरोग विशेषज्ञ विहीन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र

अंबेडकरनगर : मातृ-शिशु मृत्युदर में कमी लाने को लेकर स्वास्थ्य महकमा पुरजोर कवायद जारी किए हुए है। स

By JagranEdited By: Published: Mon, 19 Nov 2018 10:12 PM (IST)Updated: Mon, 19 Nov 2018 10:12 PM (IST)
बालरोग विशेषज्ञ विहीन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र
बालरोग विशेषज्ञ विहीन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र

अंबेडकरनगर : मातृ-शिशु मृत्युदर में कमी लाने को लेकर स्वास्थ्य महकमा पुरजोर कवायद जारी किए हुए है। स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षित करने के साथ ही शहर से लेकर गांव तक जागरूकता पर जोर देने में जुटा है। इसके साथ ही विषम स्थिति आने पर चिकित्सकों की सलाह लेने की सख्त हिदायत भी देता है। हालांकि बालरोग विशेषज्ञों की तैनाती को लेकर विभाग चुप्पी साधे है। आदर्श नगरपालिका का दर्जा पाए जलालपुर नगर और तहसील क्षेत्र के दो सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नगपुर तथा भियांव बालरोग विशेषज्ञों से विहीन है। बताते चलें कि सर्दी का मौसम बच्चों के लिए काफी संवेदनशील माना जाता है। ऐसे में इन दिनों बच्चों के बेहतर इलाज तथा उनकी देखरेख को लेकर यहां सलाह देने वालों की ही कमी है। ऐसे में दोनों सीएचसी में बच्चों का इलाज मेडिकल अफसर के ही हवाले है। इससे इतर दवाओं की अनुपलब्धता में अधिकांश दवाओं को बाहर से खरीदना पड़ता है। प्रसूति गृह में भी बच्चों के डॉक्टर नहीं हैं। पहले नगपुर सीएचसी पर बालरोग विशेषज्ञ डॉ. आरके वर्मा क़ी नियुक्ति हुई थी। उन्हें भी जिला अस्पताल बुला लिया गया। अब तो निजी चिकित्सालय ही सहारा बने हैं। इलाज कराने अस्पताल आए राम कुबेर, प्रेमलाल व रसिया बेगम का कहना है कि बच्चों को लेकर बहुत ही परेशानी होती है। यहां कोई बच्चों के डॉक्टर ही नहीं तैनात हैं। महिला अस्पताल क़ी चिकित्सक डॉ. मोहसिना ने बताया कि अस्पताल में कभी-कभी बच्चे इलाज के लिए आते हैं, उनका बेहतर इलाज का प्रयास किया जाता है। गंभीर स्थिति में जिला अस्पताल रेफर कर दिया जाता है।

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-सर्दी में निमोनिया होने का रहता खतरा : डॉ. मोहसिना ने बताया कि बदलते मौसम में निमोनिया का ज्यादा खतरा बच्चों में होता है। इसके अलावा वायरल फीवर तो गंदगी के चलते मच्छरों के काटने से होता है। सही वक्त पर इलाज नहीं होने से बच्चे भी टायफाइड के शिकार हो जाते हैं। उन्होंने दावे के साथ कहा कि अस्पताल में आधा दर्जन महिला मरीज ऐसी आयीं, जिनमें प्लेट्लेट्स काफी काम था। जोड़ों में दर्द रहा, डेंगू के लक्षण दिखे, उन्हे ठीक किया गया। यहां दोपहर तक 45 महिलाओं का उपचार और परामर्श दिया गया। इसमें दर्जन भर से अधिक गर्भवती रहीं। चिकित्सक ने सर्दी से बच्चों को बचाने, बासी भोजन से परहेज, बच्चों को गर्म कपड़ा पहनाने व गुनगुना पानी पिलाने की सलाह दी।


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