Young Lady Misdeed Case in Prayagraj:आठ दिन बाद भी आरोपितों का नाम नहीं पता लगा पाई पुलिस
मामले की विवेचना करने वाले दारोगा दूसरे केस की छानबीन करते रहे। कई दिन पहले मीरजापुर की एक युवती के साथ अस्पताल में सामूहिक दुष्कर्म की घटना हुई थी। उसके बाद पीडि़ता की मौत हो गई जिसके बाद केस लिखा गया है।
प्रयागराज,जेएनएन। स्वरूपरानी नेहरू (एसआरएन) अस्पताल के आपरेशन थिएटर में युवती से हुए सामूहिक दुष्कर्म के आरोपित डॉक्टर व अन्य के बारे में अब तक पुलिस जानकारी नहीं जुटा सकी है। यह हाल तब है जब घटना को आठ दिन बीत चुके हैं। इसके बावजूद कोतवाली पुलिस सीएमओ और अस्पताल के अधीक्षक की रिपोर्ट का इंतजार कर रही है।
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि आपरेशन के दो दिन बाद तीन जून को युवती के भाई ने कतिपय डॉक्टर समेत चार लोगों पर सामूहिक दुष्कर्म करने का आरोप लगाया था। जानकारी होने पर कोतवाली पुलिस ने घटना को अपनी जीडी में अंकित कर लिया था। साथ ही जांच करने का भी दावा करते हुए सीएमओ की ओर से गठित कमेटी की जांच रिपोर्ट के आधार पर केस को बंद कर दिया। युवती की मौत हुई तो मामले ने तूल पकड़ लिया और फिर बैकफुट पर आई पुलिस ने अज्ञात में चार लोगों के विरुद्ध सामूहिक दुष्कर्म का मुकदमा कायम किया। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि अगर पुलिस ने घटना को जीडी में अंकित करते हुए छानबीन की थी तो आरोपितों का नाम भी पता होना चाहिए था।
साथ ही कमेटी की जांच रिपोर्ट में भी आपरेशन करने वाले डॉक्टर व अन्य कर्मचारियों का नाम सामने आया था, लेकिन पुलिस उन तथ्यों को विवेचना में समाहित न करते हुए आरोपितों का नाम जानने के लिए चिकित्साधिकारियों को रिपोर्ट भेजकर जवाब मांगा है। शुक्रवार को मामले की विवेचना करने वाले दारोगा दूसरे केस की छानबीन करते रहे। कई दिन पहले मीरजापुर की एक युवती के साथ अस्पताल में सामूहिक दुष्कर्म की घटना हुई थी। उसके बाद पीडि़ता की मौत हो गई, जिसके बाद केस लिखा गया है। एसआरएन अस्पताल के प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डॉ अजय सक्सेना का कहना है कि पुलिस के पत्र का जवाब देने के लिए सर्जरी विभाग से रिपोर्ट मांगी है। विभाग से रिपोर्ट उन्हें अभी मिली नहीं है। पुलिस की विवेचना में अस्पताल प्रशासन पूरा सहयोग कर रहा है।
ऋचा ने राज्यपाल को भेजा पत्र
इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्रसंघ की पूर्व अध्यक्ष व सपा से जुड़ी ऋचा सिंह ने शुक्रवार को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को पत्र लिखकर मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। ऋचा ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट, मानवाधिकार आयोग और डीजीपी के सर्कुलर में निर्देश दिए गए हैं कि दुष्कर्म के केस में निर्णायक जांच व आरोपितों को सजा दिलाने के लिए फारेंसिक साक्ष्य महत्वपूर्ण होते हैं। मगर, इस प्रकरण में न तो तत्काल रिपोर्ट लिखी गई, न महिला पुलिस अधिकारी द्वारा बयान दर्ज किया गया और न ही उसका मजिस्ट्रेट के सामने बयान हुआ। पीडि़ता का मेडिकल कराने जैसे दूसरे कदम नहीं उठाए गए, जिससे फारेंसिक जांच औचित्यहीन हो गए।