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Diwali 2021: आप भी जलाएं मिट्टी के दीए ताकि गरीबों के घर भी दीपावली पर रहें रोशन

लोग चाइनीज सजावटी झालरें और इलेक्ट्रानिक दीये खरीदते हैं। इस बनावट का कोई लाभ नहीं है। और पर्यावरण भी दूषित होता है। ऐसे में कुम्हारों के द्वारा मिट्टी के बने दिए खरीदकर उनको भी दीपावली यादगार बनाने का मौका देना चाहिए ।

By Ankur TripathiEdited By: Published: Mon, 25 Oct 2021 07:02 AM (IST)Updated: Mon, 25 Oct 2021 07:02 AM (IST)
Diwali 2021: आप भी जलाएं मिट्टी के दीए ताकि गरीबों के घर भी दीपावली पर रहें रोशन
मिट्टी के दीप व गणेश लक्ष्मी की प्रतिमा बनाने में जुटे कारीगर

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। दीप पर्व दीपावली की तैयारियां जोरों पर है। धन की समृद्धि के लिए भगवान गणेश व मां लक्ष्मी का पूजन किया जाएगा। लोग फूलों और रंगोलियों से घर आंगन सजाएंगे। दशहरा बीतने के बाद दीपावली की तैयारियों जोरों पर है। बहुत से लोग आधुनिकता के युग में पुरानी संस्कृति भूलते जा रहे हैं। लोग चाइनीज सजावटी झालरें और इलेक्ट्रानिक दीये खरीदते हैं। इस बनावट का कोई लाभ नहीं है। और पर्यावरण भी दूषित होता है। ऐसे में कुम्हारों के द्वारा मिट्टी के बने दिए खरीदकर उनको भी दीपावली यादगार बनाने का मौका देना चाहिए । लोगों को चाइनीज सामान, चाइनीज लाइटों को दूर कर मिट्टी के दिए जलाने व पटाखा रहित पर्व मनाने को दैनिक जागरण ने यह अभियान शुरू किया है। इसमें हर दिन एक मिट्टी के कारीगर के संघर्ष व सपनों की गाथा एवं कुछ लोगों के प्रेरक संदेश, रोचक सामाग्री प्रेषित की जा रही है।

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... मिट्टी के बने बर्तनों में कर रहे कारीगरी

दीपावली पर्व ने कुम्हारों की आंखों में नई आस जगा दी है। दीपावली में पूरे परिवार के साथ गणेश लक्ष्मी मिट्टी के दीप, जतोले बना रहे है। इस बार दीपावली पर कुंडा क्षेत्र के कुम्हार तैयारियों में जुटे हुए हैं। पुराना कुंडा निवासी शारदा प्रसाद प्रजापति कहते हैं कि वैसे तो हम लोग पूरे वर्ष मिट्टी का काम करते हैं, लेकिन दीपावली का पर्व आते ही उसकी तैयारी में जुट जाते है। वहीं रामविशाल प्रजापति मिट्टी का बर्तन तैयारकर उसके रंगरोगन में व्यस्त नजर आए। उनकी बेटी मोनिका कक्षा 11 की छात्रा है, लेकिन दीपावली पर बने मिट्टी के सामानों के रंग रोगन को लेकर वह विद्यालय नहीं गई और अपनी छोटी बहन रागिनी के साथ मिट्टी के दीयों में रंग भर रही है।

जानिए दीए का महत्व

मौसम बदल रहा है । संक्रामक बीमारियां भी फैल रही है। ध्यान देने की बात है। हम दीपावली पर्व पर मिट्टी के दीपक जलाते हैं तो उनकी लौ से संक्रामक कीटनाशक व कीट पतंगे जलकर नष्ट हो जाते हैं। इसलिए हम सभी को परंपरा के प्रति दीये ही जलाएं। दीपक के प्रकाश की किरणें चुंबकीय बल पैदा करती हैं, जो मानव की त्वचा के माध्यम से शरीर में प्रवेश करती हैं और व्यक्ति के तंत्रिकाओं को प्रभावित करती हैं। -

संजय जायसवाल,  समाजसेवी कुंडा 

गरीबों का भी रखिए ख्याल

लक्ष्मी गणेश जी का पूजन केवल खुद के लिए न करें। उन गरीबों के बारे में भी सोंचे जिनकी दीपावली आपके सहारे होती है। पटाखों का शोर जनमानस के साथ ही पर्यावरण को छति पहुंचाता है। पटाखे फोड़ने से दूर रहे। इस बात की प्रेरण लोगों में जगाने के लिए दैनिक जागरण द्वारा चलाया गया प्रयास सराहनीय है। चाइना के सामान पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते है। इससे दूर रहें।

शिवकुमार तिवारी भगवन, अध्यक्ष व्यापार मंडल कुंडा 


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