Move to Jagran APP

योगी आदित्यनाथ सरकार ने फिर खुलवाई दीन दयाल उपाध्याय की रहस्यमय मौत की फाइल

इलाहाबाद रेंज के आइजी रेलवे बीआर मीणा ने बताया कि पं. दीनदयाल उपाध्याय की मौत से जुड़े साक्ष्य के लिए राकेश गुप्त को बुलाया गया है। कोई और भी चाहे तो हमें साक्ष्य दे सकता है।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Fri, 21 Sep 2018 02:25 PM (IST)Updated: Fri, 21 Sep 2018 03:50 PM (IST)
योगी आदित्यनाथ सरकार ने फिर खुलवाई दीन दयाल उपाध्याय की रहस्यमय मौत की फाइल
योगी आदित्यनाथ सरकार ने फिर खुलवाई दीन दयाल उपाध्याय की रहस्यमय मौत की फाइल

इलाहाबाद (जेएनएन)। भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्य व एकात्म मानववाद के प्रणेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय की मौत का मामला फिर चर्चा में है। योगी आदित्यनाथ सरकार ने करीब 50 वर्ष बाद एक बार फिर उनकी रहस्यमय मौत की फाइल एक बार खुलवाने के साथ ही इस मामले की सीबीआई जांच की मांग भी की है। अब डिप्टी एसपी रेलवे जुटा रहे पंडित दीनदयाल उपाध्याय की मौत के साक्ष्य जुटा रहे हैं।

loksabha election banner

भारतीय जनता पार्टी के एक भाजपा नेता की शिकायत पर गृह मंत्रालय ने आइजी जीआरपी से रिपोर्ट मांगी है। अब वाराणसी के डीएसपी जीआरपी इस मौत से जुड़े तथ्य जुटा रहे हैं, क्योंकि मुगलसराय (दीनदयाल उपाध्याय) स्टेशन का जीआरपी थाना उन्हीं के रेंज में आता है, जहां पं. दीनदयाल की मौत हुई थी। मुगलसराय के जीआरपी थाने में क्राइम नंबर 67/1968 पर आईपीसी की धारा 302 के तहत दर्ज केस में वाराणसी के निवासी राम अवध, लालता और भरत लाल के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई। करीब साल भर तक चले मुकदमे का ट्रायल पूरा होने के बाद बनारस की सेशन कोर्ट ने जून 1969 में राम अवध के साथ लालता को बरी कर दिया था। भरत लाल को चोरी की धारा 379/ 411 के तहत दोषी ठहराते हुए चार साल की सजा सुनाई थी। थाने के जिस रजिस्टर संख्या चार में इस केस का डिटेल्स दर्ज है, वह रेलवे पुलिस के रिकार्ड में अब भी सुरक्षित है।

पं. दीनदयाल की मौत की सच्चाई जानने के लिए अंबेडकरनगर जिले के जलालपुर तहसील के ग्राम मालीपुर निवासी भाजपा नेता राकेश गुप्त ने छह नवंबर 2017 को राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री व गृहमंत्री को पत्र लिखा था। उसमें उन्होंने पंडित दीनदयाल की हत्या की आशंका जताते हुए सीबीआइ जांच की मांग की थी। उसके बाद गृह मंत्रालय ने राज्य सरकार से इस मामले पर रिपोर्ट मांगी। डीजीपी के माध्यम से जांच आइजी जीआरपी इलाहाबाद मंडल को मिली। अब जीआरपी के सामने सबसे बड़ी समस्या यह है कि उस वक्त की केस डायरी, एफआइआर सहित सारे दस्तावेज गुम हैं। वहीं जिन पुलिसकर्मियों ने उनके शव का पंचनामा किया था उनके बारे में भी कोई जानकारी नहीं है। ऐसे में एसपी रेलवे ने वाराणसी के डीएसपी को पत्र भेजकर दो दिन के भीतर रिपोर्ट मांगी है। ऐसे में अब जीआरपी ने सीबीआइ जांच की मांग करने वाले भाजपा नेता को भी पत्र भेजकर साक्ष्य की मांग की है।

इलाहाबाद रेंज के आइजी रेलवे बीआर मीणा ने बताया कि पं. दीनदयाल उपाध्याय की मौत से जुड़े साक्ष्य के लिए राकेश गुप्त को बुलाया गया है। इनके अलावा कोई और भी चाहे तो हमें साक्ष्य दे सकता है। हम उसी के आधार पर जांच कर रिपोर्ट शासन को भेजेंगे।

पटना जाते समय हुई थी मौत

पंडित दीनदयाल उपाध्याय की मौत 11 फरवरी 1968 को हुई थी। वह उस समय भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष थे। पटना में आयोजित पार्टी की बैठक में हिस्सा लेने वह दिल्ली से जा रहे थे। मुगलसराय (वर्तमान में दीनदयाल उपाध्याय) स्टेशन के यार्ड में एक बिजली के खंभे के पास उनका शव मिला था। तब पुलिस उनकी पहचान नहीं कर पायी और अज्ञात में पंचनामा भर दिया। बाद में एक कर्मचारी ने उनकी शिनाख्त की थी।

हुई थी तीन लोगों की गिरफ्तारी

जीआरपी मुगलसराय में मुकदमा लिखा गया था। इसमें भरत लाल, रामअवध व लालता नामक व्यक्ति हत्या के आरोप में गिरफ्तार किए गए थे, लेकिन कोर्ट में आरोप साबित न होने पर रामअवध व लालता दोषमुक्त हो गए, जबकि भरत को चोरी करने के आरोप में चार साल की सजा मिली थी।

सीबीआइ करे जांच : राकेश

भाजपा नेता राकेश गुप्त जीआरपी की जांच से संतुष्ट नहीं हैं। वह कहते हैं कि दीनदयाल की मौत के पांच साल बाद 1973 में उनका जन्म हुआ है। अगर कोई साक्ष्य होता तो उसके आधार पर हत्यारे को अब तक सजा दिला चुके होते। मामले की सीबीआइ जांच होनी चाहिए। वह रेलवे आइजी से मिलेंगे। उनका कहना है कि दीनदयाल की मौत के बाद पोस्टमार्टम नहीं किया गया। वह कांग्रेस व वामपंथी नेताओं पर दीनदयाल की हत्या कराने का शक जाहिर कर रहे हैं।

फाइल हो सकते हैं सीबीआई जांच के आदेश

योगी आदित्यनाथ सरकार ने भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्य और अध्यक्ष रहे पंडित दीन दयाल उपाध्याय की पचास साल पहले हुई रहस्यमय मौत की फाइल फिर से खोल दी है। माना जा रहा है कि योगी आदित्यनाथ सरकार जल्द ही दीन दयाल उपाध्याय की संदिग्ध हालत में हुई मौत की जांच सीबीआई से कराए जाने की सिफारिश कर अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव में इसे बड़ा मुद्दा बना सकती है।

मुगलसराय यानि दीन दयाल उपाध्याय जंक्शन के रेलवे पुलिस स्टेशन के साथ वाराणसी कोर्ट में मौत से जुड़े अहम रिकार्ड अब तक हाथ नहीं लगे हैं। केस डायरी और चार्जशीट के रिकार्ड हाथ न आने के बाद आईजी रेलवे अब इस मामले में सीबीआई की मांग करने वाले भाजपा नेता के बयान के साथ सरकार को अपनी रिपोर्ट भेजने की तैयारी कर रहे हैं।

मौत के मामले की जांच करने वाले दरोगा और उनके सहयोगी सिपाहियों का भी अब तक कोई पता नहीं चल सका है। रेलवे पुलिस के आईजी इसके बावजूद कड़ी से कड़ी जोड़कर मामले को आगे बढ़ाने की कवायद में हैं। अम्बेडकर नगर के भाजपा नेता राकेश गुप्ता को लगाए गए आरोपों पर तथ्यों के साथ बयान दर्ज कराने के लिए बुलाया गया है। राकेश गुप्ता के बयान के बाद स्वर्गीय दीन दयाल के परिवार वालों व कुछ और लोगों के बयान भी लिए जा सकते हैं।

पंडित दीन दयाल उपाध्याय आरएसएस के राजनैतिक संगठन भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्य थे। 1951 में जनसंघ की स्थापना के वक्त वह संगठन मंत्री बने थे. दो साल बाद वह इस संगठन में महामंत्री बने और करीब 15 वर्ष तक रहे। 1967 में वह जनसंघ के अध्यक्ष चुने गए थे। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.