सोलर हब के रूप में विकसित हो रहा जिले का यमुनापार क्षेत्र
मेजा के कोसड़ा कला गांव में केंद्र सरकार की सोलर पार्क योजना के तहत निजी कंपनी मेसर्स रतन सोलर्स ने 50 मेगावॉट क्षमता का सोलर प्लांट लगाया है।
By Edited By: Published: Sat, 03 Nov 2018 09:30 AM (IST)Updated: Sat, 03 Nov 2018 09:30 AM (IST)
प्रयागराज : जिले का यमुनापार इलाका धीरे-धीरे सोलर हब के रूप में विकसित होता जा रहा है। नेडा के सहयोग से निजी क्षेत्र में अब तक तीन सोलर प्लांट लगाए जा चुके हैं। 40 मेगावॉट क्षमता वाले तीसरे सोलर प्लांट से 10 दिन पहले उत्पादन शुरू किया गया है। इस तरह इन सोलर प्लांटों से करीब 130 मेगावॉट बिजली का उत्पादन किया जा रहा है। जिसे पॉवर कारपोरेशन को बहुत कम दाम पर बेचा जा रहा है।
मेजा के कोसड़ा कला गांव में केंद्र सरकार की सोलर पार्क योजना के तहत निजी कंपनी मेसर्स रतन सोलर्स ने 50 मेगावॉट क्षमता का सोलर प्लांट लगाया है। जबकि कोरांव और शंकरगढ़ में एसेल समूह ने 40-40 मेगावाट क्षमता के दो सोलर प्लांट लगाए हैं। इसमें से शंकरगढ़ का सोलर प्लांट करीब 10 दिन पहले चालू हुआ है। यह कंपनियां पॉवर कारपोरेशन को 2.34 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली बेच रही हैं। तीनों संयंत्र पठारी जमीन पर लगे हैं। पठारी जमीन पर खेती की संभावना बहुत ही कम रहती है। इसलिए ऐसी जमीन इन संयंत्रों के लिए ज्यादा उपयुक्त मानी जा रही है।
पांच करोड़ रुपये प्रति मेगावाट खर्च :
प्रति मेगावॉट पांच करोड़ का खर्च इस प्रकार के संयंत्रों के निर्माण पर करीब पांच करोड़ रुपये प्रति मेगावॉट खर्च आता है। हालांकि, 25 वर्ष तक संयंत्रों के अनवरत चलने का दावा है। ग्रीन इनर्जी पर्यावरण के लिए नुकसानदायक नहीं सोलर प्लांटों से बिजली ग्रीन इनर्जी के रूप में उत्पन्न होती है। जो पर्यावरण के लिए नुकसानदायक नहीं है और उसके बहुत अनुकूल है। पॉवर कारपोरेशन के बिजली का यह रेट घरेलू रेट-6.20 रुपये प्रति यूनिट कामर्शियल रेट-7.20 रुपये प्रति यूनिट यमुनापार का पठारी बेल्ट इन संयंत्रों के लिए बहुत उपयुक्त है। मिर्जापुर जिले के हलिया और लालगंज में भी 75 मेगावॉट का संयंत्र लग रहा है।
इसमें फ्रांसीसी कंपनी निवेश कर रही है। इन संयंत्रों में 25 वर्ष तक कोई खर्च नहीं पड़ेगा। -आरएन पांडेय, परियोजना अधिकारी नेडा
मेजा के कोसड़ा कला गांव में केंद्र सरकार की सोलर पार्क योजना के तहत निजी कंपनी मेसर्स रतन सोलर्स ने 50 मेगावॉट क्षमता का सोलर प्लांट लगाया है। जबकि कोरांव और शंकरगढ़ में एसेल समूह ने 40-40 मेगावाट क्षमता के दो सोलर प्लांट लगाए हैं। इसमें से शंकरगढ़ का सोलर प्लांट करीब 10 दिन पहले चालू हुआ है। यह कंपनियां पॉवर कारपोरेशन को 2.34 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली बेच रही हैं। तीनों संयंत्र पठारी जमीन पर लगे हैं। पठारी जमीन पर खेती की संभावना बहुत ही कम रहती है। इसलिए ऐसी जमीन इन संयंत्रों के लिए ज्यादा उपयुक्त मानी जा रही है।
पांच करोड़ रुपये प्रति मेगावाट खर्च :
प्रति मेगावॉट पांच करोड़ का खर्च इस प्रकार के संयंत्रों के निर्माण पर करीब पांच करोड़ रुपये प्रति मेगावॉट खर्च आता है। हालांकि, 25 वर्ष तक संयंत्रों के अनवरत चलने का दावा है। ग्रीन इनर्जी पर्यावरण के लिए नुकसानदायक नहीं सोलर प्लांटों से बिजली ग्रीन इनर्जी के रूप में उत्पन्न होती है। जो पर्यावरण के लिए नुकसानदायक नहीं है और उसके बहुत अनुकूल है। पॉवर कारपोरेशन के बिजली का यह रेट घरेलू रेट-6.20 रुपये प्रति यूनिट कामर्शियल रेट-7.20 रुपये प्रति यूनिट यमुनापार का पठारी बेल्ट इन संयंत्रों के लिए बहुत उपयुक्त है। मिर्जापुर जिले के हलिया और लालगंज में भी 75 मेगावॉट का संयंत्र लग रहा है।
इसमें फ्रांसीसी कंपनी निवेश कर रही है। इन संयंत्रों में 25 वर्ष तक कोई खर्च नहीं पड़ेगा। -आरएन पांडेय, परियोजना अधिकारी नेडा
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