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Lockdown 4.0 : उद्यमियों की मुश्किलें, रॉ-मैटेरियल का रोड़ा है तो उत्पाद भी बिक रहा थोड़ा Prayagraj News

लॉकडाउन 4.0 में भले ही फैक्ट्रियों में काम शुरू हो गया है लेकिन उद्यमियों को परेशानियों से छुटकारा नहीं मिल पा रहा है। कुल मिलाकर इंडस्ट्री मांगे मोर वाली कहावत देखी जा सकती है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Fri, 22 May 2020 08:41 AM (IST)Updated: Fri, 22 May 2020 08:41 AM (IST)
Lockdown 4.0 : उद्यमियों की मुश्किलें, रॉ-मैटेरियल का रोड़ा है तो उत्पाद भी बिक रहा थोड़ा Prayagraj News
Lockdown 4.0 : उद्यमियों की मुश्किलें, रॉ-मैटेरियल का रोड़ा है तो उत्पाद भी बिक रहा थोड़ा Prayagraj News

प्रयागराज, जेएनएन।  लॉकडाउन 4.0 में फैक्ट्रियों में काम शुरू जरूर हो गया है लेकिन उद्यमियों की चुनौतियां कम नहीं हुई हैं। कहीं रॉ-मैटेरियल रोड़ा बना हुआ है तो कहीं उत्पादों की बिक्री कम हो रही है। पहले का भुगतान न मिलने से उद्यमी वैसे ही परेशान हैं, वहीं सरकार द्वारा डीजल व पेट्रोल के दाम बढ़ाने से स्थिति और खराब होती जा रही है। ट्रांसपोर्टरों ने रेट बढ़ा दिया है। इससे उबरने में उन्हें दो-तीन महीने से ज्यादा लगने की संभावना है। 

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बढ़े रेट का एमआरपी में भी समायोजन नहीं

जिन इकाइयों में पहले से उत्पाद तैयार रखे हैं। उनमें एमआरपी भी छपा होता है। लॉकडाउन में ट्रांसपोर्टरों के माल भाढ़ा में अचानक वृद्धि कर देने से उद्यमी उसका भी समायोजन एमआरपी में नहीं कर सकेंगे। ऐसे में अगर उनके माल की आपूॢत होती भी है तो उन्हें पहले वाले रेट पर ही सामान बेचना पड़ेगा। बढ़े माल भाड़े का खर्च उन्हें ही झेलना पड़ेगा।

खास आंकड़ें

- कहीं 10 से 20 फीसद की वृद्धि

- किसी ने 100 प्रतिशत बढ़ाया रेट।

दरबारी इंडस्ट्री के डायरेक्टर ने कहा

दरबारी इंडस्ट्री के डायरेक्टर डॉ. जीएस दरबारी का कहना है कि होटल, रेस्टोरेंट, सिनेमा, एयरलाइंस, रेलवे सेवाएं सब बंद हैं। शादी-विवाह भी नहीं हो रहा है। फूड प्रोसेङ्क्षसग के उत्पाद जो भी खरीदता है, उसमें वह चार से छह महीने की वैलिडिटी देखता है। जो उत्पाद पहले से बनकर रखे हैं, उसकी वैलिडिटी खत्म होने से वह सब खराब हो जाएंगे। मुंबई माल जाना था, वह भी नहीं जा पा रहा है। ट्रांसपोर्टेशन चार्ज पुराने टैरिफ से दोगुना कर दिया गया है।

अभिमन्यु पैकेज प्राइवेट लिमिटेड के डॉयरेक्टर कहते हैं

अभिमन्यु पैकेज प्राइवेट लिमिटेड के डॉयरेक्टर इंद्रेश भार्गव कहते हैं कि आधा से ज्यादा मार्केट बंद होने से रॉ-मैटेरियल भी नहीं मिल पा रहा है। जो उत्पाद बन भी रहा है, वह कंज्यूम नहीं हो पा रहा है। जिन्हें पहले माल बेचा था, कोविड-19 के कारण वह लोग भी पैसा नहीं दे रहे हैं। इससे वित्तीय संकट भी है। सरकार जो लोन दे रही है, उस पर भी सवा नौ फीसद ब्याज देना पड़ेगा। वहीं, ट्रांसपोर्टरों ने भी माल भाड़ा में वृद्धि कर दिया है।

दयालोक ट्रांसफार्मर प्राइवेट लिमिटेड के डॉयरेक्टर ने बयां किया दर्द

दयालोक ट्रांसफार्मर प्राइवेट लिमिटेड के डॉयरेक्टर समीर अग्रवाल का कहना है कि बैंक का क्रेडिट लोन मिलने में समस्या हो रही है। जिन्हें माल सप्लाई किया है, वह भुगतान नहीं कर रहे हैं। पैसा न होने से रॉ मैटेरियल भी नहीं खरीद पा रहे हैं। मशीनरी रिपेयङ्क्षरग का भी काम नहीं होने से दिक्कतें आ रही हैं। डीजल का एक्साइज ड्यूटी बढ़ा देने से ट्रांसपोर्टरों ने माल भाढ़ा भी बढ़ा दिया है, जिसका भार उद्यमियों पर ही पड़ेगा।

बोले एमवी प्लास्ट प्राइवेट लिमिटेड के डॉयरेक्टर

एमवी प्लास्ट प्राइवेट लिमिटेड के डॉयरेक्टर आभाष मित्तल बताते हैं कि रॉ मैटेरियल की दिक्कत तो है ही, भुगतान भी नहीं हो रहा है। कहीं सरकारी तो कहीं प्राइवेट पैसा फंसा है। माल भी बाहर नहीं जा पा रहा है। जब तक हर तरह से चक्का घूमना शुरू नहीं होगा, तब तक इंडस्ट्री गति नहीं पकड़ पाएगी। अगर एक नट-बोल्ट भी नहीं मिलेगा तो टरबाइन बनाने का भी कोई मतलब नहीं है, क्योंकि बिना नट-बोल्ट के वह कंप्लीट नहीं होगा। ट्रांसपोर्टरों ने भी माल भाड़ा का दोगुना तक रेट बढ़ा दिया है।


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