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प्रतापगढ़ में वाशिंग पाउडर के जरिए गरीबी को मात देंगी महिलाएं

महिलाओं ने निर्णय लिया कि अब वाशिंग पाउडर बनाया जाएगा। इसके लिए दिल्ली से मैटेरियल मंगाया है। ब्लाक मिशन प्रबंधक अमित कुमार तिवारी ने बताया कि समूह से जुड़ी महिलाएं वाशिंग पाउडर बनाने का काम शुरू कर रही है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Thu, 29 Oct 2020 10:07 AM (IST)Updated: Thu, 29 Oct 2020 10:07 AM (IST)
प्रतापगढ़ में वाशिंग पाउडर के जरिए गरीबी को मात देंगी महिलाएं
ब्लाक मिशन प्रबंधक अमित कुमार तिवारी ने बताया कि महिलाएं वाशिंग पाउडर बनाने का काम शुरू कर रही है।

प्रतापगढ़,जेएनएन। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़ी समूह की महिलाएं विकास की इबारत लिख रही हैं। एक ओर महिलाएं बेबी ट्राई साइकिल, आंवले का उत्पाद आदि तैयार कर रही हैं वहीं अब कई समूह की महिलाएं वाशिंग पाउडर बनाने की तैयारी में हैं। अब यह महिलाएं इसके जरिए गरीबी को मात देंगी।

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जिले के बिहार ब्लाक के हरिहरपुर, बंशियारा, देवरी हरदोपट्टी व त्रिलोकपुर गांव की कई महिलाएं पहले मजदूरी करती थीं। इसके बाद भी परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर थी। जून माह में प्रयागराज से इंटरर्नल कम्युनिटी रिसोर्स पर्सन की टीम गांव में आई थी। गांव की मंजू, सुमन, रेखा व गुंजन आदि महिलाओं ने उनकी बातों को ध्यान से सुना। इसके बाद मंथन किया। निर्णय लिया कि समूह से जुडऩा है। इसके बाद यह महिलाएं समूह से जुड़ीं। इनको 15 दिनों तक टीम ने प्रशिक्षित किया। महिलाओं ने निर्णय लिया कि अब वाशिंग पाउडर बनाया जाएगा। इसके लिए दिल्ली से मैटेरियल मंगाया है। ब्लाक मिशन प्रबंधक अमित कुमार तिवारी ने बताया कि समूह से जुड़ी महिलाएं वाशिंग पाउडर बनाने का काम शुरू कर रही है। एक ओर जहां उनकी आय होगी, वहीं दूसरों को भी रोजगार मुहैया कराएंगी।

सवा लाख रुपये दिए गए

समूह की महिलाओं को वाशिंग पाउडर बनाने के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से सवा लाख रुपये मिल चुके हैं। इसमें सबसे पहले रिवाल्विंग फंड के तहत 15 हजार रुपये पहले मिला। इसके बाद कम्युनिटी इनवेस्टमेंट फंड के तहत 1.10 लाख रुपये दिया गया। कुल मिलाकर महिलाओं को सवा लाख रुपये मिल चुका है। इसी पैसे को खर्च करके पाउडर बनाएंगी।

इस तरह से बन रहा वाशिंग पाउडर

समूह की महिलाएं सोडा, डोलोमाइट, टीनोपाल, स्लरी एसिड, नमक, रंग, इत्र आदि का मिश्रण करेंगी। इसके बाद यह पाउडर के आकार में बनकर तैयार हो जाएगा। इसके बाद इसकी एक पाव से लेकर एक किलो तक की पैङ्क्षकग की जाएगी। तब जाकर इसकी बिक्री की जाएगी।


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