संतान की दीर्घायु को महिलाओं ने रखा जीवित्पुत्रिका व्रत
संतान की लंबी उम्र की कामना के लिए महिलाओं ने गुरुवार को जीवित्पुत्रिका व्रत रखा। तीज की तर्ज पर ही 30 घंटे से अधिक अवधि तक रहीं सूखे हलक
जागरण संवाददाता, प्रयागराज : संतान की लंबी उम्र की कामना के लिए महिलाओं ने गुरुवार को जीवित्पुत्रिका का व्रत रखा। इसे कहीं-कहीं जिउतिया व्रत भी कहा जाता है। खास बात यह है कि इस निर्जला व्रत की शुरुआत एक दिन पहले से होती है ऐसे में महिलाओं ने बुधवार शाम को नहाय-खाए के साथ व्रत का संकल्प लिया था। गुरुवार को सुबह-सुबह संगम तट पर व्रती महिलाओं और उनके स्वजन का जमघट भी रहा। शुक्रवार भोर में सूर्योदय होने पर व्रत का पारण किया जाएगा।
कुछ दिन पहले महिलाओं ने जिस उत्साह से तीज का व्रत रखा था उसी तर्ज पर जिउतिया व्रत में भी 30 घंटे से अधिक अवधि तक सूखे हलक ही रहीं। गुरुवार सुबह और दोपहर में भी संगम में स्नान के लिए महिलाओं की भीड़ उमड़ी। जलस्तर में कमी होने पर गंगा जी का पानी इन दिनों पीछे सरक गया है फिर भी जमीन दलदली है जिस पर संभल कर चलते हुए श्रद्धालु महिलाएं और उनके स्वजन घाट तक गए। संगम स्नान कर वहीं विधि विधान से पूजन किया। इसके बाद घर में आकर शाम को चौकी पर जिमुतवाहन भगवान का स्थान सजाया।
इस पूजन में सियारिन और चिलहोरिन की कथा होती है। शास्त्रों में लिखा है कि यह कथा भगवान शंकर ने माता पार्वती को सुनाई थी। इस अवसर पर व्रती महिलाओं और घर की बुजुर्ग महिला ने मां महालक्ष्मी की महिमा का बखान किया। सभी पूजन सामग्रियां अर्पित करते हुए चौक को सजाकर भगवान की आरती की। शुक्रवार को सूर्योदय होने पर इस व्रत का पारण किया जाएगा। महिलाएं स्नान के बाद पूजन करके मिष्ठान ग्रहण करके व्रत का पारण करेंगी। पूजन में अर्पित सामग्री को पवित्र नदियों में प्रवाहित करेंगी।