भ्रष्टाचार की जंग में यूपीपीएससी औंधे मुंह, परीक्षा नियंत्रक की गिरफ्तारी से बदलाव की मुहिम को झटका
डेढ़ बरस में सीबीआइ भर्तियों की धांधली में नतीजे पर न पहुंच सकी दो साल में परीक्षा व परिणाम देने में भी यूपीपीएससी नहीं रहा बेहतर।
प्रयागराज [धर्मेश अवस्थी]। दो बरस पहले जब योगी सरकार ने उप्र लोकसेवा आयोग (यूपीपीएससी) में साक्षात्कार व परिणाम पर रोक लगाई, तो प्रतियोगियों को बड़े बदलाव का सुखद अहसास हुआ। चंद माह बाद सरकार ने वादे के अनुरूप यूपीपीएससी में पांच साल की भर्तियों की सीबीआइ जांच कराने का एलान किया। उसी दिन हजारों युवाओं ने होली व दिवाली एक साथ मनाई। दो वर्ष बाद वही युवा यूपीपीएससी मुख्यालय के सामने मुठ्ठियां भींचकर अपनी नौकरी वापस लौटाने के लिए नारेबाजी कर रहे थे। आसमान से बरसती आग उनके गुस्से को और बढ़ा रही थी। 48 डिग्री पारे में तवा बनी सड़क पर बैठे हजारों छात्र-छात्राएं हटने को तैयार न थे।
शायद इसे ही अरमानों का टूटना कहते हैं। उप्र लोकसेवा आयोग की भर्तियों में भ्रष्टाचार हर किसी की जुबां पर रहा। परीक्षा व परिणाम के साथ ही आंदोलन व प्रदर्शन मानों यूपीपीएससी की नियति बन गए थे। योगी सरकार ने प्रतियोगियों की इस दुखती रग को पहचाना और उसके निदान के लिए बड़ी और बहुप्रतीक्षित पहल करने में देर नहीं की। ज्यादातर आंदोलन प्रदर्शन सपा शासनकाल की भर्तियों के दौरान हुए थे, इसलिए उनकी सीबीआइ जांच का एलान हुआ। डेढ़ बरस तक पड़ताल होने के बाद भी जांच किसी नतीजे पर न पहुंच सकी।
छह माह से कोई जांच अधिकारी नहीं
आयोग की सीबीआइ जांच एसपी राजीव रंजन की अगुवाई में शुरू हुई। तेजी से कार्य करते हुए वह कुछ मामलों में धांधली उजागर करने के करीब पहुंचे, उसी बीच 17 नवंबर 2018 को उन्हें हटाकर गृह प्रदेश सिक्किम भेज दिया गया। उसके बाद से जांच सिर्फ घिसट रही है। कुछ दिन पहले सीबीआइ की टीम आई जरूर थी लेकिन, अभी कोई नतीजा सामने नहीं आ सका है। अब तक एक एफआइआर अज्ञात के खिलाफ हुई है।
अफसर निरंकुश, पहुंच गए जेल
सीबीआइ जांच से जिस भ्रष्टाचार के खात्मे का सपना संजोया गया, हुआ इसके ठीक उलटा। जांच मद्धिम होने से अफसर और निरंकुश हो गए। उसी समय आयोग को एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती कराने की जिम्मेदारी मिली। इसमें लिखित परीक्षा से सीधे चयन होना था। अफसरों ने पेपर आउट कराने के साथ चयन में जमकर मनमानी की। एक बरस पहले एसटीएफ को सुराग मिले थे, पीसीएस मेंस 2018 के समय अफसर व भ्रष्टाचारियों की जुगलबंदी आगे बढ़ी तो पेपर छापने वाले प्रिंटिंग प्रेस संचालक व परीक्षा नियंत्रक अंजू कटियार को ही सींखचों के पीछे भेज दिया गया।
आयोग की कार्यशैली भी ज्यों की त्यों
यूपीपीएससी प्रदेश की सबसे बड़ी भर्ती संस्था है। योगी सरकार में सख्ती से वर्षों से लंबित कुछ परिणाम जरूर जारी हुए लेकिन, परीक्षा कराने व रिजल्ट देने में अब भी समय सारिणी का कोई मतलब नहीं है। पीसीएस 2017 मेंस परीक्षा में पहली बार पेपर बदल गया।
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