जब दुष्कर्म की सुनवाई के दौरान नाराज हो गए जज
मंझनपुर थाना क्षेत्र के एक गांव में 19 अप्रैल 2017 को गांव की बच्ची के साथ दुष्कर्म के मामले में पिता के बयान से मुकरने पर कार्रवाई का दिया निर्देश।
प्रयागराज : बेटी से दुष्कर्म के मामले में पिता ने पहले आरोपित के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया। अब कोर्ट में सुनवाई के दौरान वह अपने बयान से पलट गए। इस पर सुनवाई कर रहे अपर जिला सत्र न्यायाधीश सीताराम वर्मा नाराज हो गए। उन्होंने बयान बदलने के आरोप में पिता के खिलाफ सीआरपीसी की धारा 344 के तहत पुलिस को कार्रवाई का निर्देश दिया। वहीं लड़की के बयान के आधार पर आरोपित को दस साल की सजा और उस पर 25 हजार का अर्थदंड भी लगाया है।
मामला मंझनपुर थाना क्षेत्र के एक गांव का है। 19 अप्रैल 2017 को गांव की एक बच्ची अपने घर में स्नान कर रही थी। इसी बीच पड़ोस का रहने वाला हंसराज पाल उसके घर के अंदर घुस गया और उसके साथ दुष्कर्म करने लगा। बालिका के शोर मचाने पर घर के लोग पहुंचे तो आरोपित फरार हो गया। बालिका के पिता की तहरीर पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर आरोपित को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।
पुलिस ने मामले की विवेचना के बाद आरोप पत्र न्यायालय में पेश किया। मामले का विचारण विशेष पास्को कोर्ट में चला। अभियोजन की ओर से शासकीय अधिवक्ता तीरथ ¨सह ने पीड़िता समेत सात गवाहों को पेश किया। गुरुवार को मामले की अंतिम सुनवाई हुए। बचाव पक्ष व अभियोजन के तर्कों को सुनने व पत्रावली में उपलब्ध सक्ष्यों के अवलोकन के बाद न्यायालय ने आरोपित हंसराजपाल को दस वर्ष के कैद व जुर्माने की सजा सुनाई। साथ ही जुर्माना वसूल होने पर उसकी आधी धनराशि पीड़तिा को प्रतिकर के रुप में देने का निर्देश दिया। इस मामले में लड़की का पिता भी गवाह है। वह कोर्ट अपने बयान से मुकर गए। इसलिए अपर जिला सत्र न्यायाधीश ने पीड़िता के पिता खिलाफ मुकदमा दर्ज करके कार्रवाई का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि पीड़िता के पिता का बयान से मुकरना ¨नदनीय है।