जब किले की सुरक्षा के लिए लार्ड कैनिंग ने रोक दिया था प्रयागराज में यमुना ब्रिज का निर्माण
एनसीआर के वरिष्ठ जनसंपर्क अधिकारी डा. अमित मालवीय बताते हैं कियमुना नदी पर पुल बनाने का निर्णय हो चुका था। 1855 में पुल कहां बनेगा इसके लिए स्थान भी तय हो गया था लेकिन तत्कालीन भारत के गर्वनर जनरल लार्ड कैनिंग ने सुरक्षा कारणों से पुल का निर्माण रोक दिया।
प्रयागराज, जेएनएन। देश को ब्रिटिश शासन से आजाद कराने के लिए 1857 में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का बिगुल बज चुका था। जगह-जगह आंदोलन की ज्वाला भड़क पड़ी थी। आजादी के इस आंदोलन पर काबू पाने के लिए ब्रिटिश शासन एड़ी चोटी एक किए था। उसी कड़ी में रेलवे का विकास भी था जिसकी सहायता से अंग्रेजी फौजों को तेजी से देश भर में कहीं भी पहुंचाने का मंसूबा था लेकिन स्वतंत्रता संग्राम ने इस काम में खलल डाल दी जिससे तमाम क्षेत्रों में प्रस्तावित कार्य वापस ले लिए गए जबकि चल रहे काम देरी से मुकम्मल हो सके। इन्हीं महती प्रोजेक्ट में शामिल था प्रयागराज में यमुना नदी पर निर्मित किया गया रेलवे पुल।
कोलकाता को दिल्ली से जोडऩे के लिए बनाए गए थे कई ब्रिज
प्रथम स्वतंत्रता आंदोलन के समय देश में रेलवे का प्रबंधन ईस्ट इंडिया कंपनी के हवाले था। उस वक्त दिल्ली को कोलकाता से कनेक्ट करने के लिए तेजी से रेलवे ट्रैक बिछाने के साथ ही नदियों पर पुलों का निर्माण किया जा रहा था। उक्त क्रम में ईस्ट इंडिया रेलवे की ओर से कोलकाता-दिल्ली रेलमार्ग पर हुगली, गंगा, सोन और यमुना नदी पर आठ बड़े रेलवे ब्रिज का निर्माण कराया जा रहा था जिससे दोनों शहरों के बीच टे्रनों का संचालन शुरू हो सकता था। प्रयागराज (तत्कालीन इलाहाबाद) में नैनी-गऊघाट के बीच यमुना पर पुल का निर्माण करने में ईस्ट इंडिया रेलवे को काफी अड़चनों का सामना करना पड़ा।
एक माह तक लटका रहा यमुना पर रेलवे ब्रिज का निर्माण
उत्तर मध्य रेलवे के वरिष्ठ जनसंपर्क अधिकारी डा. अमित मालवीय बताते हैं कि प्रयागराज में यमुना नदी पर पुल बनाने का निर्णय हो चुका था। 1855 में पुल कहां बनेगा इसके लिए स्थान भी तय हो गया था लेकिन तत्कालीन भारत के गर्वनर जनरल लार्ड कैनिंग ने सुरक्षा कारणों से पुल का निर्माण रोक दिया। दरअसल जहां से पुल निकाला जा रहा था उसके समीप अकबर का किला स्थित है जहां उस समय अंग्रेज सेना रहती थी और सैन्य साजो सामान भी थे। ऐसे में लार्ड कैनिंग को किले की सुरक्षा की चिंता थी। बताते हैं कि एक माह तक पुल का काम रूका रहा, इस दौरान किले की सुरक्षा पर मंथन हुआ उसका निदान निकालने के बाद पुल का निर्माण शुरू हुआ तब जाकर 15 अगस्त 1865 में यमुना ब्रिज से रेल संचालन शुरू हो सका।