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कौशांबी : पालक की इस प्रजाति की खेती से बंजर भूमि बन जाएगी उपजाऊ

कृषि विज्ञान केंद्र के मृदा वैज्ञानिक डा. मनोज सिंह की ने बताया कि चंद्रशेखर आजाद कृषि विश्व विद्यालय से ऐसी पालक तैयार की गई है जो ऊसर व बंजर में उगेगी।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Wed, 02 Sep 2020 06:44 PM (IST)Updated: Wed, 02 Sep 2020 06:44 PM (IST)
कौशांबी : पालक की इस प्रजाति की खेती से बंजर भूमि बन जाएगी उपजाऊ
कौशांबी : पालक की इस प्रजाति की खेती से बंजर भूमि बन जाएगी उपजाऊ

कौशांबी,जेएनएन।  पालक की एक ऐसी प्रजाति विकसित की गई है, जो ऊसर बंजर भूमि में तैयार होगी। इस फसल को कई बार तैयार करने के बाद भूमि की प्रकृति में बदलाव होगा। साथ ही किसान उस भूमि पर हर फसल का उत्पादन हो सकेगा। इसका परीक्षण कृषि विज्ञान केंद्र कौशांबी में किया गया था। अब किसानों को बंजर भूमि पर पालक के लिए जागरूक किया जा रहा है। कई किसानों से शुरू भी कर दिया है।

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कौशांबी में 36000 हेक्टेयर भूमि है ऊसर

फसल उत्पादन बढ़ाने के लिए की भूमि को उपजाऊ बनाने के लिए ऊसर सुधार कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है। जनपद में लगभग 36000 हेक्टेयर भूमि ऊसर है। भूमि सुधार के लिए पालक की फसल किसानों के लिए वरदान साबित होगी। कृषि विज्ञान केंद्र के मृदा वैज्ञानिक डा. मनोज सिंह की ने बताया कि चंद्रशेखर आजाद कृषि विश्व विद्यालय से ऐसी पालक तैयार की गई है, जो ऊसर व बंजर में उगेगी। उन्होंने बताया कि पालक की फसल आम तौर पर बलुई, दोमट व मटियार भूमि में तैयार होती है, लेकिन इस प्रजाति की पालक का उत्पादन ऊसर बंजर भूमि पर किया जा सकता है।

800 हेक्टेयर भूमि पर होगी पालक की खेती

इस वर्ष 800 हेक्टेयर भूमि पर पालक की खेती कराई जाएगी। एक बीघे ऊसर भूमि में 35 से 40 कुंतल तक की फसल तैयार की जा सकती है। पालक का उत्पादन कई बार उस जमीन पर करने से उसमें सुधार हो जाएगा। फिर किसान उस भूमि पर दूसरी फसल भी तैयार कर सकेंगे। इसके लिए किसानों को जागरूक किया जा रहा है। विकास खंड मूरतगंज के क्षेत्र उमरछा गांव के शिवमूरत, आशुतोष, शशिप्रकाश कुशवाहा, अजीत ने पालन की खेती करना शुरू कर दिया है।

पूरे वर्ष भर रहते है मांग

पालक एक ऐसी फसल है। जिसकी मांग पूरे वर्ष भर रहती है। किसान इसको खेत में तैयार कर बाजार में आसानी से बेंच सकते है। इसके लिए कही परेशान होने की जरूरत नहीं। अपने औषधीय गुणों के कारण पालक आंख की रोशनी, पाचन तंत्र, खून की सफाई आदि की बीमारियों में प्रयोग होती है।

कैसे तैयार होगी फसल

वर्ष के किसी भी माह में किसान ऊसर भूमि को समतल करने के बाद जिप्सम डालकर तीन से चार बार मिट्टी को हैरो व कल्टीवेटर से पलट दें। इसके बाद खेत का पलेवा कर दें। खेत बोआई की स्थित में आ जाए तो किसान छह टन प्रति बीघे की दर से गोबर की खाद, 25 किग्रा नीम की खली या नीम की पत्ती की खाद खेत में डालकर जोताई कर दें। इसके साथ ही पालक के बीच डाल दें। फसल अंकुरित होने के बाद उसकी मांग के अनुरूप सिंचाई करते रहे। पहली कटाई के बाद नीम की खली दोबारा खेत में डालकर सिंचाई कर दें।


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