Move to Jagran APP

प्रथम कलेक्टर मेहता की याद ताजा करा रहा वीएन संस्कृत महाविद्यालय

प्रतापगढ़ शहर के प्रथम कलेक्टर वीएन मेहता की याद ताजा करा रहा है वीएन संस्कृत महाविद्यालय। उनको यहां के राजा ने जमीन दी और दिलीपपुर के राजा ने निर्माण कराया।

By JagranEdited By: Published: Sun, 23 Sep 2018 02:19 PM (IST)Updated: Sun, 23 Sep 2018 02:19 PM (IST)
प्रथम कलेक्टर मेहता की याद ताजा करा रहा वीएन संस्कृत महाविद्यालय
प्रथम कलेक्टर मेहता की याद ताजा करा रहा वीएन संस्कृत महाविद्यालय

इलाहाबाद : प्रतापगढ़ शहर के प्रथम कलेक्टर वीएन मेहता ने संस्कृत महाविद्यालय को स्थापित कराया था। इसके लिए प्रतापगढ़ के तत्कालीन राजा ने जमीन उपलब्ध कराई तथा दिलीपपुर रियासत के राजा ने इसके निर्माण का बीड़ा उठाया था। वर्ष 1920 में स्थापित हुए संस्कृत के इस महाविद्यालय में शास्त्री व आचार्य की पढ़ाई होती है। अभी गत वर्ष की परीक्षा का परिणाम न आने की वजह से कक्षाएं नहीं चल रही हैं। जिस उम्मीद के साथ इस महाविद्यालय की स्थापना की गई थी, उस पर यह खरा नहीं उतर पा रहा है।

loksabha election banner

शहर में कचहरी रोड पर जीआइसी के सामने स्थित वीएन मेहता संस्कृत महाविद्यालय अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है। इसकी बि¨ल्डग रखरखाव के अभाव में जर्जर हो चुकी है। यहां सृजित शिक्षकों के पांच पदों में से तीन शिक्षक अवकाश ग्रहण कर चुके हैं। हालांकि अभी तक उनके स्थान पर किसी की नियुक्ति नहीं हो सकी है। इस महाविद्यालय के प्रबंधक का दायित्व जिला पंचायत अध्यक्ष के पास है। पूर्व में इस महाविद्यालय में बच्चों की संख्या 200 से 250 तक थी, लेकिन अब बच्चों की संख्या कम होती जा रही है। यहां गत वर्ष आचार्य में 36 व शास्त्री में कुल 74 बच्चे थे। जागरण ने महाविद्यालय में पहुंचकर पड़ताल की तो मालूम हुआ कि महाविद्यालय शासन प्रशासन की उपेक्षा का शिकार है। यहां प्राचार्य डॉ.ओम प्रकाश पांडेय व दो शिक्षक मौजूद मिले।

प्राचार्य ने बताया कि शासन प्रशासन की उपेक्षा के चलते विद्यालय भवन अति जर्जर हो चुका है। भवन निर्माण के लिए शासन से कोई अनुदान विद्यालय की स्थापना के बाद नहीं मिल सका है। बताया कि संस्कृत पढ़ कर वह सब कुछ हासिल किया जा सकता है, जो कला वर्ग से स्नातक करने के बाद हासिल हो सकता है। संस्कृत पढ़ने वाले बच्चे आइएएस व पीसीएस भी बन सकते हैं।

----

हावी है माडर्न कल्चर : हरिश्चंद्र

राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शांभवी संस्कृत महाविद्यालय पटना के प्रधानाचार्य हरिश्चंद्र शुक्ल का कहना है कि वर्तमान में समाज में माडर्न कल्चर हावी है। सामाजिक परिवेश में अंग्रेजी का ज्यादा प्रभाव है। संस्कृत के माहौल का अभाव है। इस भाषा से मिलने वाले रोजगार के अवसरों की जानकारी भी युवा पीढ़ी को नहीं है। आज संस्कृत विषय से कई प्रतियोगी परीक्षा में आसानी से सफलता हासिल की जा सकती है। जागरण से बातचीत में हरिश्चंद्र शुक्ल ने कहा कि सरकार को चाहिए संस्कृत के विद्यालयों को समृद्ध करने के लिए आर्थिक सहायता प्रदान की जानी चाहिए।

--------

देववाणी कहलाती है संस्कृत : अनिरुद्ध

एपीएस युनिवर्सिटी रीवा के संस्कृत विभागाध्यक्ष अनिरुद्ध पांडेय का कहना है कि संस्कृत को देववाणी कहा गया है। इसके बिना ज्ञान अपूर्ण रहता है। उन्होंने कहा कि बिना संस्कृत के ज्ञान के किसी भी भाषा पर कमांड नहीं किया जा सकता। जिले के रानीगंज तहसील क्षेत्र के कूराडीह गांव निवासी अनिरुद्ध पांडेय ने जागरण से बातचीत में कहा कि समाज में संस्कृत के विद्वानों की कमी नहीं है। संस्कृत की भाषा क्लिष्ट होने के कारण बच्चे इससे दूर भागते हैं जबकि इसमें गणित विषय की भांति पूरे अंक मिलते हैं। विज्ञान का दौर है लेकिन संस्कृत का महत्व कम नहीं है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.