Move to Jagran APP

चंद्रशेखर आजाद के खिलाफ दर्ज एफआइआर का दीदार कर सकेंगे पर्यटक

इलाहाबाद संग्रहालय की ओर से एसएसपी को पत्र लिखा गया है। इसके तहत चंद्रशेखर आजाद के खिलाफ दर्ज एफआइआर को पर्यटक देख सकेंगे।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Sat, 18 May 2019 11:33 AM (IST)Updated: Sat, 18 May 2019 11:33 AM (IST)
चंद्रशेखर आजाद के खिलाफ दर्ज एफआइआर का दीदार कर सकेंगे पर्यटक
चंद्रशेखर आजाद के खिलाफ दर्ज एफआइआर का दीदार कर सकेंगे पर्यटक

 प्रयागराज, गुरुदीप त्रिपाठी। देश की आजादी की लड़ाई में शहीद चंद्रशेखर आजाद के खिलाफ कर्नलगंज थाने में दर्ज एफआइआर की कॉपी अब पर्यटक भी देख सकेंगे। एफआइआर की कॉपी इलाहाबाद संग्रहालय लाने की कवायद की जा रही है। इसके लिए संग्रहालय के निदेशक डॉ. सुनील गुप्त ने एसएसपी को पत्र भी लिखा है। इसके अलावा अन्य कलाकृतियों को सहेजने की भी तैयारी चल रही है।

loksabha election banner

चंद्रशेखर ने भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की सजा कम कराने में जुटे थे

दरअसल, अंग्रेजी शासनकाल में तीन प्रमुख क्रांतिकारियों सरदार भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को मृत्युदंड की सजा मिली थी। चंद्रशेखर आजाद इन तीनों देशभक्तों की सजा को कम कराने में जुटे थे। इसके लिए वह उत्तर प्रदेश की हरदोई जेल में जाकर गणेश शंकर विद्यार्थी से भी मिले थे।

नेहरू नाराज हो गए और आजाद को वहां से जाने को कहा 

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के मध्यकालीन एवं आधुनिक इतिहास विभाग के अध्यक्ष प्रो. योगेश्वर तिवारी बताते हैं कि 27 फरवरी 1931 को आजाद इलाहाबाद आए थे। यहां आनंद भवन में पंडित जवाहरलाल नेहरू से मुलाकात की। आजाद ने पं. नेहरू से कहा कि वह गांधीजी पर लॉर्ड इरविन से इन तीनों की फांसी को उम्रकैद में बदलवाने के लिए दबाव बनाएं। नेहरू जब आजाद की बात नहीं माने तो उनसे काफी देर तक बहस भी हुई। इस पर नेहरू नाराज हो गए और आजाद को वहां से जाने को कहा। 

आजाद ने अल्फ्रेड पार्क में अंग्रेजों से लोहा लिया

नेहरू की बात से आजाद काफी आहत हुए और साइकिल से अल्फ्रेड पार्क पहुंचे। यहां अपने मित्र सुखदेव राज से बातचीत कर रहे थे। इसी बीच मुखबिर जयचंद्र की सूचना पर सुप्रिटेंडेंट नॉट बाबर और कर्नलगंज के दारोगा विशेश्वर सिंह अपने हमराहियों के साथ वहां पहुंचे। दोनों ओर से हुई गोलीबारी हुई। आजाद ने सुखदेव को वहां से भगा दिया और अकेले पुलिस से सामना करते रहे। इस दौरान एक गोली दारोगा विशेश्वर सिंह के जबड़े को चीरते हुए निकल गई और एक गोली नाट बॉबर को हाथ में लगी थी। अंत में उनके पास सिर्फ एक गोली बची तो उन्होंने खुद को मार ली। मामले में कर्नलगंज पुलिस ने आजाद के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। उसी मुकदमे की कॉपी अब संग्रहालय में लाने की कवायद की जा रही है।

मुखबिर और दस्तावेज लाएं सामने

प्रो. योगेश्वर तिवारी कहते हैं कि उस वक्त फोन का चलन इतना नहीं था। जबकि, डायरी में जिक्र किया गया है कि मुखबिर जयचंद्र ने सुप्रिटेंडेंट नाट बॉबर को फोन कर कहा कि जिसको आप तलाश रहे हैं, वह अल्फ्रेड पार्क में हैं। ऐसे में प्रो. तिवारी की मांग है कि सारे दस्तावेज सामने आने चाहिए। इससे हकीकत सभी के सामने आ जाएगी।

बमतुल बुखारा रखा था पिस्तौल का नाम

प्रो. तिवारी बताते हैं कि चंद्रशेखर आजाद अचूक निशानेबाज थे। अंधेरी रात में वह चवन्नी का सिक्का उछालते थे और गोली सीधे सिक्के पर लगती थी। वह बताते हैं कि आजाद ने अपनी पिस्तौल का नाम बमतुल बुखारा रखा था। बताया कि एक बार वह भगत सिंह के साथ बैठे थे और नंगे बदन पिस्तौल साफ कर रहे थे। इसी बीच उनका भारी शरीर देखते हुए भगत सिंह ने कहा, पंडितजी आपको फांसी देने के लिए तो अंग्रेजों को दो रस्से लगाने होंगे। आजाद ने जवाब दिया, भगत... जब तक मेरे पास ये बमतुल बुखारा है, अंग्रेज छू भी नहीं पाएंगे।

बोले इलाहाबाद संग्रहालय के निदेशक

इलाहाबाद संग्रहालय के निदेशक सुनील गुप्त ने कहा कि पर्यटकों के लिए स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेखर आजाद के खिलाफ दर्ज एफआइआर की कॉपी आजाद गैलरी में रखी जाएगी। इसके लिए प्रशासन से बात चल रही है। एसएसपी को पत्र भी लिखा गया है कि कर्नलगंज थाने से वह एफआइआर संग्रहालय को सौंप दें।

लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.