Virtual Chaupal in Prayagraj : बेटियों को सुरक्षा दें और हर संभव उन्हें शिक्षा से जोडऩे का प्रयास करें
Virtual Chaupal in Prayagraj वर्चुअल चौपाल का आयोजन प्रयागराज में किया गया। ऑनलाइन समाजसेवी जुटे। इसमें कहा गया कि समाजसेवियों को भी चाहिए कि वे महिला सशक्तिकरण जैसे मुद्दों को प्रमुखता से अपने अभियान में शामिल करें। यह भी समाजसेवा है।
प्रयागराज, जेएनएन। कोरोना वायरस संक्रमण काल में अपने आसपास की बेटियों को एकत्र कर उनके पूजन की परंपरा को इस बार न करें तो बेहतर होगा। इससे संक्रमण फैलने का खतरा है। हां बेटियों को सुरक्षा दें और हर संभव उन्हें शिक्षा से जोडऩे का प्रयास करें। यह भी उनके पूजन की तरह पुण्य कार्य है। यह विचार समाजसेवी रजनीकांत ने वर्चुअल चौपाल में व्यक्त किए। कहा कि लैंगिक अनुपात लगातार घट रहा है। इसे सभी को गंभीरता से लेना चाहिए। जब तक समाज अपने दृष्टिकोण को नहीं बदलेगा तब तक हालात नहीं सुधरेंगे। भ्रूण हत्या जैसी चीजों को भी रोकने के लिए सभी को आगे आना होगा।
महिला सशक्तिकरण को समाज सेवी अपने अभियान में शामिल करें
वर्चुअल चौपाल में कहा गया कि समाजसेवियों को भी चाहिए कि वे महिला सशक्तिकरण जैसे मुद्दों को प्रमुखता से अपने अभियान में शामिल करें। यह भी समाजसेवा है। ऑनलाइन चौपाल में समाज सेवी अवनीश कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि किसी भी चीज की शुरुआत स्वयं से करें। आप खुद बेटियों को महिलाओं को सम्मान दें। जहां भी रहें ऐसे प्रयास करें कि महिलाएं सुरक्षित महसूस करें। यहीं से सुरक्षित समाज की अवधारणा को बल मिलना शुरू हो जाएगा। बहन, बेटियों को आत्मरक्षा के तौर तरीके भी सिखाना जरूरी है। ऐसा करने पर वे सशक्त होंगी।
कन्या साक्षात देवी है और देश का भविष्य भी
चौपाल में वक्ताओं ने कहा कि कन्या दो परिवारों को जोड़ती है। शिक्षित कन्या पूरे परिवार को यशस्वी बना सकती है। आत्म कल्याण की दृष्टि से तो कन्या साक्षात देवी है। यही वजह है कि अनादिकाल से उसके नाम के साथ देवी शब्द जोड़ा जाता रहा है। कोई भी कन्या देश का भविष्य है। जब वह संस्कारवान, सद्गुणों से युक्त होगी तो अपने आप नए युग का उदय होगा। इस मौके पर सुशील पांडेय, पवन, रतन शर्मा, मोहित श्रीवास्तव, अजय श्रीवास्तव, पंकज अग्रवाल, पीयूष कांत मिश्रा, ज्ञानेंद्र द्विवेदी, अजय पंडित, अर्जुन पंडित, जनार्दन शुक्ला, संजय श्रीवास्तव, राजेंद्र श्रीवास्तव, राघवेंद्र कुमार, मदन श्रीवास्तव, कविंद्र राय आदि ने विचार रखे।