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सड़क के लिए दान दी जमीन, आसानी से हो सकेंगे रिश्ते

जागरण संवाददाता, इलाहाबाद। पड़ोसी जिले कौशांबी के नेवादा ब्लाक के एक गांव में अब रिश्ते आसानी से हो सकेंगे। यहां सड़क नहीं होने की वजह से लोग बेटों का रिश्ता करने से कतराते थे। बेटियों की शादी भी लोग बाहर जाकर करते थे।

By JagranEdited By: Published: Sat, 08 Sep 2018 02:31 PM (IST)Updated: Sat, 08 Sep 2018 02:31 PM (IST)
सड़क के लिए दान दी जमीन, आसानी से हो सकेंगे रिश्ते
सड़क के लिए दान दी जमीन, आसानी से हो सकेंगे रिश्ते

जागरण संवाददाता, इलाहाबाद। पड़ोसी जिले कौशांबी के नेवादा ब्लाक के एक गांव में अब रिश्ते आसानी से हो सकेंगे। सड़क की कमी से यहां लोग अपनी बेटियों के हाथ पीले करने से कतराते थे। गांव की बेटियां भी इस दिक्कत से परेशान थीं। दरअसल इस गाव तक पहुंचने के लिए कोई रास्ता नहीं था। रिश्ते तय होते तो थे तो विकल्प यही होता था कि शहर जाया जाय अथवा रिश्तेदारों के यहा जाकर रस्म पूरी की जाए। तमाम गुहार लगाई लेकिन रास्ता नहीं निकला। प्रशासनिक अनदेखी का दंश झेल रहे लोगों ने खुद ही रास्ता निकाल लिया है। उन्होंने थोड़ी थोड़ी कर पांच बीघे जमीन दान में दी। इससे मुख्य सड़क से तीन किमी सड़क बन गई। इसके बाद यहां नई सुबह की उम्मीद जग गई है।

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कौशांबी का यह पिछड़ा गाव नेवादा विकास खंड क्षेत्र का श्यामपुर उर्फ मल्हीपुर है। यहां किसानों ने पाच बीघा भूमि दान की। इसके बाद मुख्य मार्ग से तीन किमी का रास्ता बनाया। बारिश के बाद ग्राम पंचायत निधि से पक्की सड़क का निर्माण शुरू कराया जाएगा। यमुना किनारे दक्षिण दिशा में आबाद मल्हीपुर गाव के उत्तर व पूरब दिशा में किलनहाई बहती है। पश्चिम दिशा की ओर लोगों के खेत हैं। सरायअकिल - कटइया मुख्य मार्ग से जुड़े इस गाव में पहुंचने के लिए कोई रास्ता नहीं था। मुख्य मार्ग से तीन किमी पैदल चल कर गाव में लोग आते-जाते थे। प्रशासनिक अफसरों से इसकी शिकायत कई बार की गई, पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। गाव की कई बेटियों की शादी सड़क न होने की वजह से नहीं हुई। गाव के लोगों ने सड़क के लिए कई बार लोकसभा व विधानसभा के चुनाव में मतदान का बहिष्कार भी किया, पर बात नहीं बनी। हाल ही में गाव के 18 लोगों ने कुल पाच बीघा खेत सड़क के नाम पर ग्राम पंचायत को दान की। तीन किमी रास्ता भी तैयार कर लिया गया। रास्ता निकलाने से लोगों को यह उम्मीद जग गई है कि अब उनके गाव के भीतर शहनाई गूंजेगी। गाव के छोटेलाल ने बताया कि उनकी बेटी धुरपतिया की शादी 23 साल की उम्र में तय हुई। जब वर पक्ष के लोग गोदभराई के लिए गाव पहुंचे तो उन्हें तीन किमी पैदल चलना पड़ा। गोदभराई के बाद घर वापस लौटे वर पक्ष ने शादी से इन्कार कर दिया। गाव के अवधेश की भी शादी तिलक के बाद टूट गई। इसी तरह जगन्नाथ व बुधई लाल आदि की भी बेटी के रिश्ते टूट गए।

धनपतिया देवी बताते हैं कि प्रशासनिक अफसरों ने भले ध्यान नहीं दिया हो लेकिन गाव वालों के सहयोग से यह परेशानी दूर हो गई है। गांव के अशोक कुमार कहते हैं ग्रामीणों ने सड़क बनवाने का फैसला लिया है। यह गाव के लोगों के हित में ही है। रामदीन कहते हैं कि बीमार लोगों को भी चारपाई पर लिटाकर गाव के बाहर तक मुख्य मार्ग पर लाया जाता था। कम से कम अब तीन किमी का सफर लोगों को पैदल नहीं तय करना पड़ेगा। हीरालाल को इस बात का फº है कि गाव के लोगों ने अपने खेतों से सड़क बनवाई है। कहते हैं कि यह बड़ी बात है। अब गाव के लोगों को तमाम समस्याओं से निजात मिलेगी और विकास के रास्ते और भी खुलेंगे।

प्रधान शांति देवी कहती हैं कि गाव के डेढ़ दर्जन से अधिक लोगों ने अपनी करीब पाच बीघा भूमि सड़क के लिए दान की है। उनका त्याग देखते हुए माह भर पहले फौरन मिट्टी भी डलवा दी गई है। बारिश खत्म होने के बाद सरकारी धन से सड़क भी बनवाई जाएगी। इससे लोगों की दिक्कत खत्म हो जाएगी और गाव में ही बारात आएगी और धूमधाम से बेटियों की शादी होगी।


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