इंदिरा मैराथन के उप विजेता विक्रम बंगरिया बोले- घर में खाने का भी नहीं था इंतजाम..., भूखे पेट करते थे तैयारी
इंदिरा मैराथन में द्वितीय स्थान प्राप्त महाराष्ट्र के विक्रम बंगरिया का सपना अब एशियन गेम और ओलंपिक में पदक जीतना है। विक्रम के नाम राष्ट्रीय प्रतियोगिता एक स्वर्ण एक रजत एक कांस्य है। अर्मी में दो बार स्वर्ण पदक है। क्रिकेट खेलना और नदी में तैरना पसंद है।
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। प्रयागराज में इंदिरा मैराथन में पुरुष वर्ग के उप विजेता महाराष्ट्र के विक्रम बंगरिया बने। जीत की खुशी के बीच लोगों का अभिवादन स्वीकार किया। बातचीत के दौरान उनकी आंखें नम हो गईं। रुंधे गले से पुरानी यादें उन्होंने ताजा की। बोले कि घर में तीन भाई थे और पिताजी बस चालक। आर्थिक जरूरत पूरी नहीं हो पाती थी। घर में खाने का भी इंतजाम नहीं हो पाता था तो भूखे पेट भी दौड़ता था।
पहली बार मैराथन दौड़े और उप विजेता बने : आर्मी स्पोर्ट कालेज महाराष्ट्र के पुणे में प्रशिक्षण ले रहे विक्रम बंगरिया ने प्रयागराज में कहा कि सबकी सलाह थी कि दौड़कर ही आर्मी में भर्ती होंगे और वहीं से जिंदगी बदल जाएगी। मैं दौड़ता रहा और आज इंदिरा मैराथन में दूसरा स्थान मिला है। बताया कि डाइट, प्रशिक्षण, शेड्यूल यह तो आर्मी में आने पर पता चला। अभी तक आर्मी के लिए 10 किमी रेस ही दौड़ते थे। पहली बार मैराथन में दौड़े और स्थान बनाने में सफल रहे।
विक्रम बंगरिया का सपना एशियन गेम व ओलंपिक में पदक जीतना है : विक्रम बंगरिया का सपना अब एशियन गेम और ओलंपिक में पदक जीतना है। विक्रम के नाम राष्ट्रीय प्रतियोगिता एक स्वर्ण, एक रजत, एक कांस्य है। अर्मी में दो बार स्वर्ण पदक है। क्रिकेट खेलना और नदी में तैरना पसंद है।