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प्रतापगढ़ : डेंगू को रोकने में काम आई कोविड की सतर्कता, जानिए कैसे

जिला मलेरिया अधिकारी राजेश कुमार का कहना है कि नालियों की लगातार सफाई होने से मच्छर उसमें नहीं पनप पाए। इससे उनकी आबादी नहीं बढ़ी। इसके बाद भी संचारी रोग नियंत्रण अभियान चलाकर हम लोग बराबर स्थिति पर नजर रखे हैं।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Mon, 12 Oct 2020 07:02 PM (IST)Updated: Mon, 12 Oct 2020 07:02 PM (IST)
प्रतापगढ़ : डेंगू को रोकने में काम आई कोविड की सतर्कता, जानिए कैसे
नालियों की लगातार सफाई होने से मच्छर उसमें नहीं पनप पाए। इससे उनकी आबादी नहीं बढ़ी।

प्रतापगढ़,जेएनएन। कोविड-19 से बचने के लिए घर से बाहर तक की गई सफाई ने जिले में डेंगू के डंक तोड़ दिए हैँ। इसका प्रसार रोक दिया है। अक्टूबर तक जिले में डेंगू के केवल दो केस मिलने से स्वास्थ्य विभाग को सुखद आश्चर्य है। पिछले साल इस महीने तक डेंगू व मलेरिया के डंक से दर्जनभर लोग बीमार पड़ चुके थे। इस साल एक केस जून में आया था, दूसरा जुलाई में। उस वक्त बरसात जोरों पर जिससे पानी का जमाव होने से मच्छर पनपे थे। दो लोग उसकी चपेट में आए थे।

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कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए मार्च से सफाई के प्रति किया जाता रहा जागरूक

इस बार मार्च से ही कोरोना का प्रसार रोकने को घर से लेकर सड़क, नाली, नाले, छत, मैदान, बाजार व अस्पताल सबकी सफाई पर जोर दिए जाने लगा। इससे डेंगू का डंक थम सा गया। शासन का भी जोर है कि हर रविवार-मच्छर पर वार। इस नारे को स्कूलों में भी चलाया गया। हर किसी में स्वच्छता का ऐसा जुनून जगा कि मच्छर कहीं पनाह नहीं पा रहे हैं।

लगातार सफाई से मच्‍छरों को नहीं मिला पनपने का मौका

जिला मलेरिया अधिकारी राजेश कुमार का कहना है कि नालियों की लगातार सफाई होने से मच्छर उसमें नहीं पनप पाए। इससे उनकी आबादी नहीं बढ़ी। इसके बाद भी संचारी रोग नियंत्रण अभियान चलाकर हम लोग बराबर स्थिति पर नजर रखे हैं। 

आशाओं पर जिम्मेदारी

जिले में तीन हजार आशा कार्यकर्ता कार्यरत हैं। इनके जिम्मे टीकाकरण में सहयोग जैसे बहुत से काम हैं। इनमें लोगों को मच्छरों से बचने को जागरूक करना भी मुख्य जिम्मेदारी में शामिल है। कहीं भी अगर मलेरिया व डेंगू के लक्षण वाले लोग दिखें तो यह कंट्रोल रूम को सूचना देती हैं। इसके बाद मेडिकल टीम जाकर उसकी जांच करती है।  

जोड़ों में दर्द पहला लक्षण

मच्छर के काटने से होने वाला डेंगू एक अलग तरह का बुखार होता है। जिला अस्पताल के फिजीशियन डॉ. मनोज खत्री बताते हैं कि इसमें मरीज को हड्डियों के जोड़ों में असहनीय दर्द होने लगता है। तेज बुखार, सिर दर्द, उल्टी, आंखों में दर्द होने लगता है। समय से इलाज न होने पर मरीज के शरीर में गुलाबी रंग के दाने निकलने लगते हैं। प्लेटलेट घटने से वह कमजोर होने लगता है।

क्या करें-

-पूरी बांह के कपड़े पहनें। इससे मच्छर काट नहीं पाएंगे।

-हर सप्ताह अपने कूलर, फ्रिज की ट्रे का पानी बदलते रहें।   

-छत पर देखें कहीं पानी तो नहीं भर गया है। उसे निकालें।

-नालियों में पानी का बहाव बनाए रखें। कचरा हटवाते रहें।

-नालियों में एंटीलार्वल दवा का खुद भी आप छिड़काव करें।


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