पहली बार वोटर बने नौजवानों को शौर्यगाथा से लुभाएगी विहिप
विहिप नेतृत्व का मानना है कि फरवरी 2019 में लोकसभा चुनाव की सरगर्मी शुरू हो जाएगी, इसमें युवाओं की अहम भूमिका रहेगी।
प्रयागराज : मिशन 2019 के मद्देनजर विश्व ¨हदू परिषद ने ¨हदुओं को एकजुट करने के लिए गोटियां बिछानी शुरू कर दी है। संगठन का ऐसा ही प्रयास यहां इस बार कुंभ में डाक्यूमेंट्री 'शौर्यगाथा' के रूप में सामने आएगा। इसके जरिए युवाओं को लुभाने की तैयारी की गई है।
विहिप की नजर उस नए वोटबैंक पर है, जिसका जन्म 1992 के बाद हुआ है। इस वर्ग को भावनात्मक रूप से जोड़ने के लिए छह दिसंबर 1992 के 'अयोध्याकांड' पर 20 मिनट की 'शौर्यगाथा' नामक डाक्यूमेंट्री तैयार कराई गई है। साथ ही समय-समय पर किए गए आंदोलनों को होर्डिग में चित्रों के जरिए मेला क्षेत्र में दर्शाया जाएगा। 'शौर्यगाथा' का प्रदर्शन हर दिन विहिप के शिविर में होगा। मंदिर मुद्दे को बनाएंगे 'हथियार' :
पिछले दो दशकों में भाजपा कई बार 'राम मंदिर' मुद्दे को अपने एजेंडे से भीतर-बाहर कर चुकी है पर आरएसएस व विहिप का मानना है कि उसके तरकश में इतना'मारक' दूसरा अस्त्र नहीं है। संतों के धर्म सम्मेलन में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और विहिप के आला पदाधिकारी खुलकर केंद्र सरकार से मंदिर निर्माण की मांग कर चुके हैं। आरएसएस व विहिप नेतृत्व का यह भी मानना है कि मंदिर मुद्दे से मुंह मोड़ना भाजपा की रणनीतिक चूक थी, जिसका खमियाजा राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में हार के रूप में भुगतना पड़ा। विहिप के प्रदेश प्रवक्ता शरद शर्मा बेबाकी से कहते हैं कि श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या में मंदिर निर्माण के लिए केंद्र व प्रदेश सरकार मिलकर कदम उठाती है तो संत व ¨हदू समाज खुश होगा। राम मंदिर राजनीतिक मुद्दा नहीं बल्कि 'राष्ट्र गौरव' से जुड़ा मामला है। ¨हदी-अंग्रेजी में बनी है डाक्यूमेंट्री :
डाक्यूमेंट्री 'शौर्यगाथा' ¨हदी और अंग्रेजी भाषा में बनी है। इसमें राम मंदिर आंदोलन के अब तक के सफर का जिक्र है। फोकस है, चरम यानी 'छह दिसंबर' 1992 पर। विहिप नेतृत्व का मानना है कि फरवरी 2019 में लोकसभा चुनाव की सरगर्मी शुरू हो जाएगी, इसमें युवाओं की अहम भूमिका रहेगी। फिल्म में यह है खास :
शौर्यगाथा में 30 अक्टूबर 1990 को अयोध्या में कारसेवकों पर गोली चलाए जाने की तुलना 'जलियावाला बाग' से की गई है। 'छह दिसंबर' 1992 को विवादित ढांचा गिराने को 'राष्ट्रगौरव' के रूप में दिखाया गया है। मार्च 2003 में कोर्ट के आदेश पर अयोध्या में हुई खोदाई में प्राप्त मूर्तियों, ईटों व अन्य सामग्री को दिखाकर विवादित स्थल ही श्रीराम जन्मभूमि होने का दावा भी है। राम मंदिर आंदोलन के दौरान देशभर से संकलित ईटें व तराशे गए पत्थर भी डाक्यूमेंट्री का हिस्सा है। संगठन का मानना है कि इससे ऐसे लोगों को भावनात्मक रूप से जोड़ने में मदद मिलेगी जो 1992 के घटनाक्रम के साक्षी नहीं थे।